सरदार उधमसिंह जलियांवाला बाग़ में हुए अपनों के नरसंहार से बेहद आक्रोशित थे और उन्होंने उसी समय ये मारकाट मचाने वाले जनरल डायर को वध करने की प्रतिज्ञा ले ली थी। जनरल डायर की 1927 में ब्रेन हेमरेज से मौत हो चुकी थी। ऐसे में उधम सिंह के गुस्से का शिकार बना उस नरसंहार के समय पंजाब का गवर्नर रहा माइकल फ्रेंसिस ओ’ ड्वायर। जिसने नरसंहार को जायज ठहराया था। 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हॉल में मीटिंग थी। वहां माइकल ओ’ ड्वायर भी स्पीकर्स में शामिल था। उधम सिंह उस दिन समय पर वहां पहुंच गए।
अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा रखी थी। उन्होंने किताब के पन्नों को रिवॉल्वर के आकार में काट रखा था। और बक्से जैसा बनाया था। उससे उनको हथियार छिपाने में आसानी हुई। बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ’ ड्वायर को टारगेट बनाया। उधम सिंह की चलाई हुई दो गोलियां ड्वायर को लगी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके साथ ही उधम सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और विश्व को संदेश दिया कि अत्याचारियों को भारतीय वीर कभी छोड़ा नहीं करते। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अरेस्ट हो गए। उन पर केस चला। अदालत में पेशी हुई।
जज ने सवाल पुछा कि वह ओ’ ड्वायर के अलावा उसके मित्रों को क्यों नहीं मारा। इस पर वीर शिरोमणि उधम सिंह ने जवाब दिया कि वहां पर कई औरतें मौजूद थीं और हमारी संस्कृति में औरतों पर हमला करना पाप है।
ऐसे माँ भारती के वीर सपूत और वचन के पक्के शहीद-ए-आजम उधम सिंह की जयंती पर कोटि-कोटि नमन ।
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