नई दिल्ली: आधुनिकता की दौड़ में अंधाधुंध भाग रहे हर देश के बीच धरती पर हर दिन प्रदूषण बेहद तेजी से बढ़ता जा रहा है. जिसके दुष्परिणाम समय-समय पर हमें देखने को मिलते हैं. पर्यावरण में अचानक प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण तापमान में भी वृद्धि देखी जा रही है, तो कहीं कहीं पर प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर की वजह से लंबे समय से बारिश भी नहीं हो पाती. ऐसे में लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने के लिए प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है.
पूरी दुनिया में 5 जून के दिन विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस दिन कई कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को प्रदूषण के कारण हो रहे पर्यावरण के नुकसान के प्रति जागरुक किया जाता है. प्रदूषण का बढ़ता स्तर पर्यावरण के साथ ही मनुष्यों के लिए खतरा बनता जा रहा है. इसके चलते कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं. वहीं इंसान कई प्रकार की गंभीर बिमारियों का शिकार भी हो रहे हैं. बता दें कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई थी.
पर्यावरण दिवस की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी. इसी दिन यहां पर विश्व का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था. जिसमें भारत की तरफ से तात्कालिन पीएम इंदिरा गांधी ने हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी नींव पड़ी थी. जिसके चलते प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस आयोजन का संकल्प लिया गया.
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