टीवी के चर्चित धार्मिक सीरियल रामायण में राम की भूमिका अदा करने वाले मशहूर एक्टर अरुण गोविल का आज जन्मदिन है। उनका बचपन यूपी के मेरठ में बीता। मेरठ विश्वविद्यालय से ही उन्होंने पढ़ाई की तथा 17 वर्ष की आयु में बिजनेस के संबंध में मुंबई आ गए मगर अचानक उनके मन में अभिनय का जोश आ गया तथा वे एक्टर बन गए। अरुण गोविल ने अपने एक इंटरव्यू में अपने करियर पर चर्चा की थी। जिसमे उन्होंने कई किस्सों के बारे में बताया था।
अरुण गोविल ने बताया, ''आरभिंक दौर में मैंने कई फिल्मों में साइड हीरो की भूमिका निभाई तथा फिर राजश्री प्रोडक्शन हाउस ने मुझे फिल्म 'सावन को आने दो' में ब्रेक दिया।'' ये मूवी बहुत सफल रही तथा इसके पश्चात् से अरुण गोविल का फिल्मी सफर आरम्भ हो गया मगर पॉपुलैरिटी उन्हें धारावाहिक 'विक्रम और बेताल' में महाराज विक्रमादित्य की भूमिका से मिली। ये धारावाहिक दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता था। अरुण गोविल बताते हैं, "इसी धारावाहिक के चलते मुझे अवसर प्राप्त हुआ रामानंद सागर से मुलाकात करने का, क्योंकि ये सीरियल उनके बेटे प्रेम सागर बना रहे थे। मैं उनसे मुलाकात करने गया तथा मैंने कई सारे स्क्रीन टेस्ट दिए। रामानंद सागर जी ने मुझसे बोला कि तुम्हें हम लक्ष्मण या भरत की भूमिका के लिए चुन लेंगे। मेरे मन में राम की ही भूमिका मगर मैंने उनसे कहा कोई नहीं, आप जैसा उचित समझें। बाद में उनकी सिलेक्शन टीम तथा रामानंद जी ने बोला की हमें तुम्हारे जैसा राम नहीं मिलेगा।"
वही राम की भूमिका निभाने के पश्चात् अरुण गोविल की जिंदगी बदल गई। लोग सार्वजनिक स्थानों पर अरुण को देखते तो उनके पांव छूने लगते तथा आशीर्वाद मांगते। लोग उनको उनकी भूमिका से अलग नहीं देख पाते थे। अपनी पुरानी यादों को याद करते हुए अरुण कहते हैं, "मुझे याद है एक दिन मैं सेट पर टी-शर्ट पहन कर बैठा हुआ था। एक महिला आई तथा सेट पर काम करने वाले लोगों से पूछने लगी श्री राम कहां है। वो बोल रही कि उसे मुझसे मिलना है" उसके गोद में एक बच्चा था। सेट पर काम करने वाले लोगों ने उसे मेरे पास भेज दिया। "पहले तो वो मुझे पहचान नहीं पाई फिर उसने मुझे कुछ समय तक देखा तथा रोते हुए अपना बच्चा मेरे कदमों में रख दिया। मैं घबरा गया। मैंने बोला 'आप ये क्या कर रही हैं। छोड़िये मेरे पैरों को।' उसने रोते हुए बोला 'मेरा बेटा बीमार है। ये मर जाएगा आप इसे बचा लीजिये।' मैंने उन्हें हाथ जोड़कर समझाया कि 'ये मेरे हाथ में नहीं है, मैं कुछ नहीं कर सकता। आप इसे हॉस्पिटल ले जाइये।' मैंने उन महिला को कुछ रूपये दिए। मैंने ईश्वर से उनके बेटे को स्वस्थ करने की प्रार्थना की तथा फिर समझाया और हॉस्पिटल जाने को बोला। वो उस समय वहां से चली गई मगर तीन दिन पश्चात् वो फिर आई। इस बार भी उसका बेटा उसके साथ था। उस महिला को देख मुझे भरोसा हो गया कि यदि हम ईश्वर पर भरोसा रखें तथा प्रार्थना करें तो वो अवश्य सुनता है।"
इंटरनेट पर वायरल हुआ जैस्मिन भसीन का ये जबरदस्त VIDEO, देखकर फैंस हुए दीवाने
कैमरे के सामने जैस्मिन भसीन ने बदली ड्रेस, देखकर अली गोनी ने दी ये प्रतिक्रिया
गीता कपूर पर भड़के उमर रियाज, बोले- 'आपने नेशनल टीवी पर मुझे नीचा दिखाया'