हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में ब्याज दरों को लेकर एक बयान पेश किया है. उन्होंने बताया है कि देश में ब्याज दरों का स्तर असाधारण रूप से अधिक बना हुआ है. और यदि ब्याज दरें इसी तरह अधिक रहती है तो इससे देश की अर्थव्यवस्था भी सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन जाने का खतरा मंडरा रहा है. इस मामले मे वित्त मंत्री ने सार्वजनिक भविष्य निधि और डाकघर पर आधारित छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को कम किये जाने के निर्णय को भी सही बताया है.
वित्त मंत्री ने कहा है कि छोटी बचत योजनाओं पर लागु 8.7 फीसदी की कर-मुक्त ब्याज दर वास्तव में 12 से 13 फीसदी बैठती है. यानि कि इसके अनुसार कर्ज की ब्याज दर 14 से 15 फीसदी तक होने वाली है. क्योकि कर्ज पर लगने वाला ब्याज, जमाओं पर लगने वाले ब्याज से थोड़ा अधिक ही रहता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कही भी नहीं होता है कि कर्ज का ब्याज कम और जमा पर ब्याज अधिक हो.
और यदि कर्ज पर ब्याज दर 14 से 15 फीसदी रही तो जल्द ही हम सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन सकते है. गौरतलब है कि हाल ही में सरकार के द्वारा 18 मार्च को पीपीएफ और अन्य छोटी जमाओं पर ब्याज दर में 1.30 फीसदी तक की कटौती को अंजाम दिया गया है, जोकि 1 अप्रैल 2016 से लागू की जाना है.
इसके अंतर्गत ही यह बात भी सामने आई है कि पीपीएफ पर ब्याज दर को भी कम करके 8.1 फीसदी कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अधिक ब्याज दर को लागू कर भारतीय अर्थव्यवस्था को खत्म करना अच्छी बात नहीं साबित होने वाली है.