नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत को कुछ चुनिंदा और बड़े बैंकों की दरकार है। वर्ष 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अंदर इसके पांच सहयोगी बैंकों और एक भारतीय महिला बैंक के विलय होने के बाद सरकार ने इसी वर्ष देना-विजया और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय को अनुमति प्रदान की है।
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आम बजट पेश होने के बाद आरबीआई निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत मीटिंग को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने कहा है कि, "पहले हमारे पास एसबीआई के विलय का अनुभव है और अब हम दूसरा विलय करने जा रहे हैं। भारत को चुनिंदा और बड़े बैंकों की आवश्यकता है जो कि मजबूत हों क्योंकि प्रत्येक दृष्टि से उधार दरों से लेकर अधिकतम इस्तेमाल तक, बैंकिंग क्षेत्र के रूप में जहां तक पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं की बात है, यह बहुत सहायक हैं।"
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आखिरी महीने में तीन बड़े बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी थी जो कि मर्ज होकर देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाएगे। इससे पहले एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक का नंबर है। इन तीनों बैंका का विलय एक अप्रैल 2019 से लागू होगा। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तादाद घटकर 18 रह जाएगी। सितंबर 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली वैकल्पिक व्यवस्था ने वैश्विक आकार के कर्जदाता बनाने के लिए तीन बैंकों के विलय के लिए सैद्धांतिक अनुमति दे दी थी।
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