जम्मू : केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने जम्मू-कश्मीर को लेकर कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों से किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि सरकार की प्राथमिकताओं में विकास है। जो विकास बीते 60 वर्षों से भी नहीं हुआ उसे प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली का कहना था कि कश्मीर में हुई हिंसा और पथराव में शामिल लोग सत्याग्रही नहीं हैं बल्कि प्रदर्शनकारी हैं जो पुलिस और सुरक्षाबलों को निशाने पर लेते हैं।
दरअसल केंद्रीय मंत्री जम्मू के बाहरी क्षेत्र में रैली को संबोधित कर रहे थे। वर्तमान अशांति हेतु उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना भी की। इस दौरान उन्होंने कहा कि युद्ध के माध्यम से राज्य को छीनने में असफल रहने के बाद वे अलग तरह से भारत की अखंडता पर हमला करने में लगा है। वर्ष 1947 में बंटवारे के बाद वे कई तरह की समस्या पैदा करने में लगे हैं। केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने जम्मू-कश्मीर हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन प्राथमिकताऐं बताई।
पहली यह कि 'देश की सुरक्षा और अखंडता से समझौता नहीं होगा और हिंसा में शामिल लोगों से समझौता नहीं होगा.’ दूसरी यह कि 'जम्मू-कश्मीर हिंसा और युद्ध का सामना कर चुका है अत: यहां विकास की जरूरत है जो पिछले 60 वषरें से नेशनल कांफ्रेंस ओर कांग्रेस की सरकारों ने नहीं होने दिया।' तीसरी यह है कि 'जम्मू भाजपा का गढ़ है। इस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।'
उनकी प्राथमिकता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष मोदी सरकार पर अशांति से पिटने में किसी तरह की नीति न अपनाने का आरोप भी लगाया। विपक्षी दल अशांति के सामाधान करने हेतु राजनीतिक समाधान खोजने और वार्ता करने का दबाव बना रहे हैं। कश्मीर में 44 दिनों से चल रही अशांति को लेकर अरूण जेटली ने कहा कि इस मामले में एक गंभीर स्थिति उभरी है जिसमें पाकस्तान, अलगाववादी और धार्मिक शक्तियों ने हाथ मिलाया इस तरह से वे भारत की अखंडता पर हमला करने में लगे हैं।