बेंगलुरु: 2019 में बीजेपी ओर मोदी के विजयरथ को रोकने के उपायों पर लेखक, पत्रकार, अर्थशास्त्री और पूर्व कैबिनेट मंत्री अरुण शौरी ने विपक्ष को मतभेदों को दूर करने की सलाह दी है. अपनी नई किताब अनीता गेट्स बेल में अरुण ने भारतीय न्यायपालिका पर तीखा प्रहार किया है और इससे उबरने के लिए उपाय भी बताए हैं. उन्होंने लिखा 'इसे पढ़कर खेद होता है कि वहां (कर्नाटक) अब भी मंत्री पद और उपमुख्यमंत्री को लेकर कई नेता असहमत हैं जबकि देश खतरे में है. अरुण शौरी आगे कहते हैं, 'आज मोदी सरकार उसी मोड़ पर है जहां यूपीए थी लेकिन वह देश को विभाजित कर रहे हैं और यह देश की सुरक्षा व्यवस्था को खतरे में डाल रहा है, जबकि हमारी विदेश नीतियां पूरी तरह विफल रही हैं लेकिन इसे अनदेखा किया जा रहा है. इसके उलट जनता तक यह संदेश भेजा जा रहा है कि उन्हें मोदी को वापस लाने की जरूरत है. यह देश और उसके निजी हितों का एक बड़ा विश्वासघात होगा अगर विपक्ष अपने ऊपर गिरने वाले इस 'हिमस्खलन' को नहीं देख पा रहा है.'
वह आगे कहते हैं, 'यह ऐसा है जिसे टाला न जा सके. मुझे लगता है कि मोदी को रोका जा सकता है. आखिरकार उनकी इतनी लोकप्रियता के बाद भी केवल 31 वोट ही मिले.' विपक्ष को नसीहत देते हुए अरुण कहते हैं, 'आपको साथ आकर प्रतिज्ञा करनी होगी कि हर निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी के खिलाफ सिर्फ एक ही उम्मीदवार उतारा जाए.कई उम्मीदवार उतारने का खामियाजा गुजरात और यूपी में भुगतना पड़ा था.' वह कहते हैं कि संयुक्त विपक्ष एक प्रयास हो सकता है लेकिन हर दिन नेता नई बयानबाजी करते रहते हैं. मायावती ने कहा है कि अगर उन्हें सम्मानित सीटें नहीं मिलती हैं तो वह 2019 चुनाव अकेले लड़ सकती हैं. जबकि तथ्य यह है कि अगर मायावती और शरद पवार ने अपने वह उम्मीदवार नहीं उतारे होते जो गुजरात में नहीं जीत पाए तो शायद बीजेपी वहां सरकार बनाने में सक्षम नहीं होती.
अरुण शौरी कहते हैं कि एक राज्य में वहां के क्षेत्रीय दल या नेता पर ही यकीन करना होगा. वह कहते हैं, 'मैं पहले भी कह चुका हूं कि विपक्ष को किसी राज्य में वहां के क्षेत्रीय दल पर यकीन करना होगा जो अपने किले को नियंत्रित कर सके और सीटों का बंटवारा भी उसी के हवाले छोड़ देना चाहिए. बंगाल में ममता बनर्जी को तय करने दीजिए कि कांग्रेस को कितनी सीटें मिलनी चाहिए. 'मुझे भरोसा है कि आज नीतीश खुद भी घुटन महसूस रहे हैं.
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