भारत पहुँचते ही बदले मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु के सुर, बोले- ऐसा कुछ नहीं करेंगे..

भारत पहुँचते ही बदले मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु के सुर, बोले- ऐसा कुछ नहीं करेंगे..
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नई दिल्ली: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर हैं। सोमवार, 7 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत किया गया, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी अगवानी की। चीन के करीबी माने जाने वाले मुइज्जू ने इस दौरान भारत की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि मालदीव कभी ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे भारत को खतरा हो। मुइज्जू ने भारतीय मीडिया से बातचीत में कहा कि मालदीव भारत का अहम साझेदार और मित्र देश है और उनके संबंध सम्मान और साझा हितों पर आधारित हैं।

मुइज्जू ने स्पष्ट किया कि मालदीव दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर कोई असर न पड़े। उन्होंने भारत के साथ मालदीव के पुराने रिश्तों को प्राथमिकता देने की बात कही। भारतीय सैनिकों को मालदीव से वापस भेजने के फैसले पर उन्होंने कहा कि यह मालदीव की जनता की मांग थी, और भारत जैसी लोकतांत्रिक देश इसे समझेगा। मुइज्जू की इस यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मालदीव गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। वे भारत से नए कर्ज और पुराने कर्जों की अदायगी के लिए अधिक समय की मांग कर सकते हैं। हालांकि, मुइज्जू का भारत विरोधी रवैया पहले से ही चर्चा में रहा है। उन्होंने ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया था और राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इसे प्रमुख मुद्दा बनाया था। साथ ही, उन्होंने मालदीव में भारतीय सैनिकों को वापस भेजने का भी निर्णय लिया था।

मुइज्जू की कैबिनेट के कुछ मंत्रियों ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भी अशोभनीय टिप्पणियाँ की थीं। मालदीव में सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ अभियान चलाया गया, जिसके बाद भारतीयों ने भी मालदीव की यात्रा न करने का आह्वान किया था। मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद चीन की यात्रा को प्राथमिकता दी थी, जिससे भारत के साथ संबंधों में खटास बढ़ गई थी। अब जब मालदीव आर्थिक संकट से जूझ रहा है, तो मुइज्जू भारत से मदद की उम्मीद कर रहे हैं। उनका उद्देश्य भारत से आर्थिक पैकेज प्राप्त करना और पुराने कर्जों के भुगतान के लिए अधिक समय की मांग करना है। मालदीव समझ चुका है कि अगर भारत ने उसकी मदद नहीं की, तो उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

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