हैदराबाद: पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी इन दिनों सुर्ख़ियों में है. दरअसल, काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी सहित कई विग्रहों का सर्वे किया जा रहा है. ये सर्वे वाराणसी के सीनियर जज डिविजन के आदेश पर किया जा रहा है. अब इस मामले में सियासत भी तेज हो गई है. AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कानून का उल्लंघन है.
ओवैसी ने आगे कहा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने का आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है. उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यह अधिनियम भारत की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है, जो कि संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है. ओवैसी ने सर्वे के फैसले को एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला भी करार दिया है. ओवैसी ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत की तरफ से खुलेआम सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना की जा रही है. ओवैसी ने अदालत पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस आदेश से अदालत 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के दौरान हुए खून-खराबे और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रही है.
बता दें कि शुक्रवार को जब सर्वे करने के लिए टीम वाराणसी पहुंची थी, तो मुस्लिम भीड़ ने मौके पर जमा होकर जमकर नारेबाजी की थी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पहले ही वीडियोग्राफी पर आपत्ति जताई थी. हालांकि, जब मुस्लिम ने नारेबाजी शुरू की, तो दूसरे पक्ष ने भी नारे लगाना शुरू कर दिए। लेकिन पुलिस ने सबको मौके से हटा दिया. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में आज भी वीडियोग्राफी होनी है.
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