हिंदू धर्म में आषाढ़ मास की अमावस्या को सबसे अहम माना जाता है। जी दरअसल इस दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान पितरों के निमित्त दान व तर्पण करने का विधान रहता है। जी दरअसल ऐसा करने से आपके ऊपर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। आप सभी को बता दें कि अमावस्या तिथि पितृदोष कालसर्प दोष को दूर करने के लिए काफी शुभ मानी जाती है। कहा जाता है इस महीने की अमावस्या पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बेहद खास है। इसी के साथ इस दिन पितरों के लिए व्रत करने का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि पितरों के लिए रखे गए व्रत में हल्की सी भी चूक आपको उनके कोप का भागी बना सकती है आपके जीवन में तबाही ला सकती है। अब हम आपको बताते हैं आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के लिए रखे जाने वाले व्रत नियम के बारे में।
आषाढ़ अमावस्या व्रत नियम-
- आषाढ़ अमावस्या को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन गायत्री मंत्र का जाप करें, इससे मानसिक शांत प्राप्त होगी।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन पेड़-पौधे को लगाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है, इससे ग्रह दोष भी दूर हो जाता है।
- कहा जाता है आषाढ़ अमावस्या तिथि को पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या को शिव मंदिर में पूजा करें, इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
- कहा जाता है आषाढ़ अमावस्या को दान देने से पितर प्रसन्न होते हैं, वंश को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं।
आषाढ़ अमावस्या की पूजा का महत्व- आप सभी जानते ही होंगे अमावस्या तिथि पर कई लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। जी हाँ और इस दिन पितृ तर्पण, नदी स्नान दान-पुण्य आदि करना ज्यादा फलदायी माना जाता है। केवल यही नहीं बल्कि यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है। इसी के साथ पितृ कर्म के लिए भी यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है।
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