आषाढ़ माह की स्कन्द षष्ठी व्रत 04 जुलाई दिन सोमवार को है। जी हाँ और हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है। जी दरअसल स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय जिनकी पूजा विधि विधान से की जाती है। आपको बता दें कि स्कन्द षष्ठी व्रत को संतान षष्ठी भी कहते हैं और स्कंद पुराण में स्कन्द षष्ठी व्रत का महत्व बताया गया है। जी दरअसल इस व्रत को करने से संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है। इसी के साथ संतान का जीवन सुखमय होता है। केवल यही नहीं बल्कि इस व्रत को आप चैत्र, आश्विन और कार्तिक माह से प्रारंभ करते हैं, तो अच्छा माना जाता है। अब हम आपको बताते हैं स्कन्द षष्ठी व्रत की पूजा विधि के बारे में।
स्कन्द षष्ठी व्रत 2022 तिथि- वहीं पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 04 जुलाई दिन सोमवार को शाम 06 बजकर 32 मिनट से हो रहा है। जी हाँ और यह तिथि 05 जुलाई दिन मंगलवार को शाम 07 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। शाम के समय में पूजा मुहूर्त 04 जुलाई को है, ऐसे में इस दिन ही व्रत किया जाएगा।
स्कन्द षष्ठी 2022 मुहूर्त- आप सभी को बता दें कि इस महीने के स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन सिद्धि योग और रवि योग बना रहा है। वहीं सिद्धि योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक है, वहीं रवि योग प्रात: 08 बजकर 44 मिनट से अगले दिन 05 जुलाई को प्रात: 05 बजकर 28 मिनट तक है। इसी के साथ रवि योग और सिद्धि योग मांगलिक कार्यों के लिए अच्छे होते हैं। वहीं सिद्धि योग कार्यों में सफलता की संभावनाओं को बढ़ाने वाला है और इस दिन का राहुकाल सुबह 07 बजकर 12 मिनट से सुबह 08 बजकर 57 मिनट तक है। राहुकाल में मांगलिक कार्य न करें।
स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि- इस दिन सुबह स्नान-ध्यान करें और देवों के सेनापति कार्तिकेय का स्मरण करें। इसके बाद पास के मंदिर में जाकर भगवान शिव और उनके समस्त परिवार की पूजा करें। अब फल, फूल, अक्षत, रोली इयादी पूजा सामग्री लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इसके बाद फल, मिठाई का भोग लगाएं और सामर्थ्य अनुसार दान करें।
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