आने वाले 21 जून 2020 को आषाढ़ मास की अमावस्या है. ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन किसान खेती में काम आने अपने यंत्रों जैसे- हल इत्यादि का पूजन करते हैं इस वजह से इसे हलहारिणी अमावस्या कहते हैं. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन किये जाने वाले उपाय के बारे में.
* इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले (कंडे) पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए. वहीं अगर घी व गुड़ उपलब्ध न हो तो खीर से भी धूप दे सकते हैं. इसी के साथ अगर यह भी न कर सके तो घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं धूप देने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें.
* इस दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है. जी दरअसल इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं और गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहें. अब इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें.
* इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं. इसी के साथ ध्यान रहे बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें. इसके अलावा दीपक में थोड़ी सी केसर भी डाल दें.
* इस दिन सूर्य देवता और पितृ देवता का तर्पण करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.
* इस दिन रात को करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें. अब उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं. इसके बाद अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें. इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें. अब उसके बाद थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें. अब इसके बाद घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से ग्यारह माला जाप करें-
मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी.
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते..
ध्यान रहे मंत्र जाप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें. धन लाभ होगा.
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