राजस्थान कांग्रेस में बगावत और राजनीतिक संग्राम के पश्चात भले ही पार्टी ने संगठन को व्यवस्थित करने के लिए 3 लोगों की कमेटी बना दी गई है, किन्तु भीतर मंत्रणा यही है कि संगठन में होने वाली नियुक्तियों में सीएम अशोक गहलोत का खेमा ही हावी रहेगा. इस खबर ने उन कार्यकर्ताओं की भी नींद उड़ा दी है जो भाजपा की सत्ता को उखाड़ कर कांग्रेस की सत्ता लाने के लिए पांच वर्ष तक पायलट के साथ मिलकर कार्य कर रहे थे.
कैलिफ़ोर्निया के जंगलों में आग लगने से 7 लोगों की गई जान
संगठन में नियुक्तियों को लेकर अगर प्रभारी महासचिव के समक्ष कोई हंगामा होता है तो उसमें भी लाभ में गहलोत निष्ठ लोग ही रहेंगे. क्योंकि हंगामे के पश्चात केस को शांत करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जोड़ी की ही होगी.
जिन्दा है 'तानाशाह' या हो गई मौत ? आखिर 'किम जोंग' पर सच क्यों छिपा रहा नार्थ कोरिया
बता दे कि सचिन पायलट को पीसीसी चीफ के पद से हटाए जाने पहले स्थिति भिन्न थी. प्रदेश संगठन से लेकर फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन तक सब स्थान पर पायलट दल के लोगों का प्रभाव था. संगठन की कमान स्वंय सचिन पायलट के हाथों में थी. उस सूरत में 50-50 का फॉर्मूला बन सकता था. लेकिन अब परिस्थितियां पहले से बिल्कुल उलट है. पीसीसी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर सेवादल, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई तक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निष्ठावान लोगों का दबदबा है. ऐसे में अब किसी फार्मूले की गुंजाइश कम ही बची है.पार्टी के सूत्रों की मानें तो पिछली बार की जम्बो कार्यकारिणी का सियासी संग्राम के दौरान कोई फायदा नजर नहीं आया. उल्टे कई पदाधिकारियों ने सचिन पायलट के समर्थन में इस्तीफे दे दिए जिससे दल का तालमेल डोल गया था. सूचना की मानें तो नई बनने वाली कार्यकारिणी में 50 से अधिक लोगों को रखने की उम्मीद नहीं है.
CWC बैठक में मचे कोहराम पर बोले विवेक तन्खा, कहा- हम विद्रोही नहीं, बदलाव के वाहक हैं...
डोनाल्ड ट्रंप पर TikTok ने ठोंका मुकदमा, बैन होने के बाद लगाया गंभीर आरोप
दक्षिण कोरिया के सियोल में सरकार का बड़ा एलान, ऑफलाइन कक्षाओं पर लगाया जाए प्रतिबन्ध