काबुल: अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का एलान करने के साथ ही सियासी संघर्ष की स्थिति पैदा हो चुकी है. वहीं चुनाव आयोग द्वारा बीते मंगलवार यानी 18 फरवरी 2020 को घोषित अंतिम नतीजों में अशरफ गनी दूसरी बार राष्ट्रपति चुने जा चुके है. लेकिन उनके मुख्य प्रतिद्वंदी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने चुनाव नतीजों को मानने से इन्कार करते हुए एक जैसी सरकार बनाने का एलान कर दिया गया है. वहीं राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीते वर्ष 28 सितंबर 2019 को चुनाव जारी किया गया था. जंहा मतदान में घोर अनियमितता के इलज़ाम भी लगे थे. भारी हिंसा भी हुई थी.
वहीं यह भी कहा जा रहा है कि स्वतंत्र चुनाव आयोग (IEC) ने कहा है कि अशरफ गनी को 50.64 फीसद मत मिले हैं. जबकि, अब्दुल्ला को 39.52 फीसद मत प्राप्त हुआ है. चुनाव आयोग ने दिसंबर में प्रारंभिक चुनाव नतीजों की एलान किया था, जिसमें विश्व बैंक के कर्मचारी रहे गनी मामूली अंतर से विजयी हो चुके है. लेकिन अब्दुल्ला ने चुनाव नतीजों में धोखाधड़ी का इलज़ाम लगाते हुए उनकी पूरी समीक्षा की मांग की थी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2014 के चुनाव में भी धोखाधड़ी का इलज़ाम लगा था. बाद में अमेरिका के बीच बचाव के बाद गनी राष्ट्रपति और अब्दुल्ला उनके सीईओ बने थे.
मिली जानकारी के अनुसार चुनाव नतीजों का एलान के बाद अब्दुल्ला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'निष्पक्ष और वायोमेट्रिक मतों के आधार पर हमारा दल विजयी बने है और हम अपनी जीत का एलान किया. वहीं यह भी कहा कि हम अपनी सरकार बनाने का भी एलान करते हैं. ' इस हालात में अफगानिस्तान में राजनीतिक संकट खड़ा होता नजर आ रहा है. जंहा अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता हो रही है. दोनों पक्षों के बीच करीब-करीब सहमति भी बन गई है. हिंसा में कमी आने पर समझौते का एलान किया जा सकता है. अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने कहा है कि 5 दिन के अंदर हिंसा को काबू में किया जा सकता है. इस समझौते के बाद ही तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत का मार्ग खुल सकता है.
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