हिंदू धर्म में अष्टधातु का बहुत महत्व है क्योंकि इसका तात्पर्य सभी धातुओं से मिलकर बनी धातु से है। अष्टधातु का उपयोग इसकी अत्यधिक शुभ प्रकृति के कारण हिंदू और जैन धर्म दोनों में मूर्तियों के निर्माण में अक्सर किया जाता है। इसके अतिरिक्त, ज्योतिष में कुंडली में राहु की स्थिति प्रतिकूल होने पर अष्टधातु पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, इस धातु से बनी अंगूठी या कंगन पहनने से नौ ग्रहों के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
अष्टधातु में आठ प्रकार की धातुएँ होती हैं, सोना, चाँदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा और पारा। ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक धातु की अपनी अनूठी ऊर्जा होती है। ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद उचित समय पर इन धातुओं को धारण करना लाभकारी माना जाता है। यह समझना जरूरी है कि किसे अष्टधातु धारण करना चाहिए और किसे ऐसा करने से बचना चाहिए।
इन लोगों को धारण करनी चाहिए अष्टधातु-
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