संभल: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने संभल कोर्ट में एक लिखित बयान प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के नियंत्रण और प्रबंधन का अधिकार अपने पास रखने की मांग की है। एएसआई ने 29 नवंबर को कोर्ट में कहा कि शाही जामा मस्जिद 1920 से एक संरक्षित हेरिटेज स्थल है और इसे संरक्षित रखने की जिम्मेदारी एएसआई की है। इस मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि 1529 में हरिहर मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाई गई थी।
एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने कोर्ट में बताया कि मस्जिद का सर्वे करने में एएसआई को मस्जिद कमिटी और स्थानीय लोगों का विरोध झेलना पड़ा था। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि एएसआई ने 2018 में मस्जिद प्रबंधन समिति के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जब बिना आधिकारिक अनुमति के मस्जिद की सीढ़ियों पर स्टील की रेलिंग लगवाई गई थी। शर्मा ने कोर्ट से कहा कि एएसआई के प्रावधानों के अनुसार, मस्जिद में आम लोगों को जाने की अनुमति मिलनी चाहिए और इसकी संरचना में किए गए अनधिकृत बदलावों को लेकर एएसआई को चिंता है।
मस्जिद कमिटी के प्रमुख जफर अली ने स्वीकार किया कि मस्जिद 1920 से एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक है और इसमें कोई भी बदलाव करने के लिए एएसआई से अनुमति ली जानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मस्जिद में सीढ़ियों पर रेलिंग पहले ही लगाई गई थी, और मौजूदा कमिटी के छह साल के कार्यकाल के दौरान इस बदलाव की जानकारी नहीं है।
जफर अली ने यह भी कहा कि मस्जिद परिसर में एक कमरा और कुआं 100 साल से ज्यादा पुराने हैं, और 2018 में दर्ज की गई प्राथमिकी का ट्रायल चल रहा है। जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी, तो मस्जिद कमिटी एएसआई के जवाब पर अपना पक्ष रखेगी।