धार: मध्य प्रदेश के धार में मौजूद ऐतिहासिक परमारकालीन भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने आज शुक्रवार (22 मार्च 2024) से सर्वे आरंभ कर दिया है। इस दौरान भोजशाला के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं, क्योंकि आज जुम्मा भी है और बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय यहाँ नमाज पढ़ने आ सकता है। परिसर के आसपास कैमरे और मेटल डिटेक्टर भी स्थापित कर दिए गए हैं, ताकि हर चीज़ पर नज़र रखी जा सके। वहीं सामने आए वीडियो में बड़े अधिकारियों की बाहर खड़ी गाड़ियाँ और भारी पुलिस बल नज़र आ रहा है। ये सर्वेक्षण सुबह 6 बजे से आरंभ हो चुका है।
"भोजशाला" मध्य प्रदेश के धार जिले में 1034 ई. में राजा भोज द्वारा निर्मित माँ सरस्वती का प्राचीन मंदिर है। यह हजारों छात्रों के लिए शिक्षा का केंद्र था लेकिन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर पर हमला किया और इसे मस्जिद में बदल दिया।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज के दिन शुरू हुआ सर्वे दो चरणों में संपन्न होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक भोजशाला में जुम्मे के दिन मुसलमानों को नमाज की इजाजत रही है, इसलिए शुक्रवार को किया जा रहा ASI सर्वे रुक-रुककर होगा। एक नमाज से पहले दूसरा नमाज के बाद। इसके बाद ASI अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा और कोर्ट में दाखिल करेगा। बता दें कि भोजशाला को माता वाग्देवी का मंदिर बताते हुए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने वहाँ पूजा का अधिकार देने की माँग उठाई है। इस संबंध में अदालत में 4 याचिकाएँ लगी हुईं है। मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को तय की गई है। इस मामले में संगठन की तरफ से कोर्ट में वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन और वकील विष्णु जैन पेश हुए हैं।
#WATCH | Dhar, Madhya Pradesh: Archaeological Survey of India (ASI) to begin an archaeological survey of the Bhojshala Complex from today pic.twitter.com/yhuiTvxPhG
— ANI (@ANI) March 22, 2024
उनकी मजबूत दलीलों के कारण ही अदालत ने भोजशाला में ASI सर्वे के आदेश दिए थे। टीम को 6 सप्ताह में रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया गया था। मगर, सर्वे आदेश के 11 दिन बाद होना शुरू हुआ ऐसे में सर्वे के लिए ASI पर सिर्फ साढ़ चार सप्ताह बचे हैं। बता दें कि भोजशाला विवाद काफी पुराना है, कई बार यहाँ हिन्दू मुस्लिम दंगे भी हो चुके हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये माता सरस्वती का मंदिर है, जहाँ दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक आज भी अंकित हैं। मगर, सदियों पहले मुस्लिमों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहाँ मौलाना कमालुद्दीन की मजार बना दी थी, जिसके बाद यहाँ मुस्लिम समुदाय का आना जाना शुरू हो गया और अब जगह को नमाज के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
भोजशाला का दर्दनाक इतिहास ????@Vishnu_Jain1 pic.twitter.com/Ri4shOiw6Q
— सनातनी हिन्दू राकेश (मोदी का परिवार) (@Modified_Hindu9) March 10, 2024
भोजशाला के बाहर लगे बोर्ड में सूचना के रूप में स्पष्ट लिका है कि मंगलवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिंदुओं को यहाँ प्रवेश मिलेगा। वहीं शुक्रवार दोपहर 2 बजे से लेकर तक 3 बजे तक मुस्लिम नमाज़ पढ़ सकेंगे। बाकी बचे दिन जगह पर आम लोगों के देखने के लिहाज से खोला जा सकता है।
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