25 दिन का सफर, 2800 किमी पैदल, आपको रुला देगी असम के मज़दूर की ये दास्ताँ

25 दिन का सफर, 2800 किमी पैदल, आपको रुला देगी असम के मज़दूर की ये दास्ताँ
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गुवाहाटी: असम के नौगांव जिले के निवासी 46 वर्षीय जादव गोगोई काम की तलाश में गुजरात पहुंचे थे. वहां वे गुजरात के औद्योगिक नगर वापी में मजदूरी करते थे. जब 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ तो उन्हें भी काम से निकाल दिया गया. तब उनके पास अपने घर वापस पहुंचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. 27 मार्च को जादव ने वापी से पैदल चलना आरंभ किया. रास्ते में अगर कोई उन्हें इमरजेंसी में चल रहे वाहन में बैठा लेते थे तो वह कुछ दूर उनके साथ दूरी तय कर लेते थे.

ऐसा करते-करते जादव 25 दिन में नगांव जिले के राहा इलाके में अपने घर तक पहुंच गए. वह रविवार रात को अपने घर पहुंचे थे. जब जादव ने वापी से चलना आरंभ किया तो उनके हाथ में केवल 4 हजार रुपये थे. घर पहुंचने के दौरान उन्होंने ट्रक वालों से सहायता ली जो देश में आवश्यक सामान की आपूर्ति के लिए सड़कों पर दौड़ रहे थे. इस यात्रा के दौरान उनके पैसे, मोबाइल और बाकी सामान भी लूट लिया गया. जब वह राहा में पहुंचकर सड़क के किनारे आराम कर रहे थे, तभी स्थानीय लोगों ने पुलिस को फोन पर सूचना दे दी. 

जादव ने बताया कि, "मैं गधारिया करौनी गांव का निवासी हूं और बिहार, बंगाल से होते हुए यहां तक आया हूं. गुजरात से असम में अपने घर वापस आने के लिए मैंने पुलिस और सरकारी महकमे से काफी गुहार लगाई, लेकिन मुझे मना कर दिया गया. तब 27 मार्च से मैंने वापी से पैदल सफर शुरू किया." जादव ने आगे बताया कि," लॉकडाउन के कारण अपने घर वापस आना मेरी मजबूरी बन गई थी. बिहार से बंगाल होते हुए असम के राहा तक मैंने पैदल ही यात्रा पूरी की."

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