गुवाहाटी: विश्व गैंडा दिवस के अवसर पर बुधवार (22 सितंबर 2021) को असम में प्राकृतिक आपदाओं अथवा शिकार की वजह से अपनी जान गंवाने वाले लगभग 2,500 एक सींग वाले गैंडों का अंतिम संस्कार किया गया है। गैंडों की सीगों को जलाने से पहले असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान किया। हिंदू धर्म की रीति-रिवाजों के मुताबिक, अनुष्ठान के बाद इसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इस कार्यक्रम को राइनो संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। इसका मकसद गैंडे को लेकर फैले मिथकों को ख़त्म करना था। असम के वन्यजीव वार्डन एमके यादव ने कहा कि, 'शिकारियों और तस्करों के लिए यह एक साफ़ संदेश है कि इन चीजों का कोई मूल्य नहीं है।” कार्यक्रम के बाद सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि हिंदू-परंपराओं के मुताबिक, अनुष्ठान किया गया है। ऐसा करके हमने शिकारियों को कड़ा संदेश दिया है कि गैंडे की सीगों का कोई औषधीय महत्व नहीं है। इस दाह संस्कार के माध्यम से हम ये संदेश देना चाहते हैं कि गैंडे असमी संस्कृति का हिस्सा हैं औऱ ये बेहद अहम हैं।
इन सीगों को एकत्र करने की प्रक्रिया दशकों पहले शुरू हुई थी, इकट्ठा करने के बाद इन्हे कोषागार में सुरक्षित रखा गया था। वन विभाग के अनुसार, पारंपरिक दवाओं में गैंडे की सींगों का इस्तेमाल किए जाने के कारण काला बाजार में इसकी कीमत बहुत अधिक है। पिछले हफ्ते ही राज्य कैबिनेट ने गैंडों की सीगों का री-वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया था।
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