गुवाहाटी: असम विधानसभा में विरोधी पार्टी के नेता देवब्रत सैकिया ने कैब और एनआरसी पर केंद्र की मंशा को खोटी करार दिया है। उन्होंने सवाल पुछा है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और आफगानिस्तान के हिंदू शरणार्थियों की दुहाई देने वाली सरकार को श्रीलंका के उत्पीड़ित तमिल हिंदू और म्यांमार आदि के हिंदू क्यो नहीं नज़र आते।
सैकिया ने कहा है कि, इसका सीधा सा मतलब है कि यह सरकार मतलबी है। तमिल हिंदूओं को बाहर रखने की वजह साफ है। तमिलनाडु के एक सौ से ज्यादा शिविरों में रखें गए इन तमिल हिंदुओं की आबादी महज 60 हजार के ही लगभग है। सैकिया ने कहा कि उन्हें वोट बैंक के रूप में विशेष इस्तेमाल करने से कोई विशेष फायदा नही होने वाला है। उन्होंने सवाल पुछा कि केंद्र ने तीन देशों के ही हिंदुओं की चिंता क्यों की है। कई अन्य देशों में भी तो हिंदू उत्पीड़ित हैं।
सैकिया ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से संविधान की मूल भावना के विपरीत है। इसे वापस लिया जाना चाहिए। इतनी हड़बड़ी में कैब लागू करने के की आवश्यकता नहीं है। असम में फिर से एनआरसी की तैयारी पर भी उन्होंने गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि, 19 लाख लोग अपनी गलती से नहीं , बल्कि नीतियों की वजह से बाहर हुए हैं।
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