गुवाहाटी: मंगलवार को राज्यसभा के एक सदस्य ने पीएम नरेन्द्र मोदी से पूर्ण रूप से टीका लगवा चुके व्यक्तियों की असम में कोरोना टेस्ट रोकने का आग्रह करते हुए कहा कि यह कदम सिर्फ "संसाधनों की बर्बादी" तथा "लोगों का उत्पीड़न" है तथा इससे टीकाकरण प्रोग्राम की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े हो सकते हैं।
वही कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने यह भी बताया कि पूर्ण रूप से टीका लगवा चुके लोगों के असम आने पर रैपिड एंटीजन तथा आरटी-पीसीआर टेस्ट आवश्यक तौर पर कराकर राज्य सरकार विरोधाभासी नीति अपना रही है। बोरा ने बताया कि पीएम एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर जोर देते रहे हैं कि कोरोना रोधी टीके की दूसरी खुराक लेने वाले लोग इस वायरस से तकरीबन पूर्ण रूप से सुरक्षित हो गए हैं। उन्होंने कहा, मगर असम में इसके विपरीत राज्य सरकार इस सिलसिले में विरोधाभासी नीति अपना रही है।
सांसद ने कहा कि टीके की दोनों खुराक ले चुके सभी लोगों को असम आने पर सभी एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों पर रैपिड एंटीजन तथा आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होता है जो "समय, संसाधन एवं कार्य बल की बर्बादी और साथ ही उत्पीड़न है।" उन्होंने मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा, "इसे देखते हुए मैं आपसे मामले में हस्तक्षेप करने तथा असम के माननीय सीएम को टीके की दोनों खुराक ले चुके व्यक्तियों का टेस्ट करके ऐसी बर्बादी को रोकने के सुझाव देने की अपील करता हूं।"
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