काला जादू का नाम सुनते ही आपके दिमाग में भी अमावस्या की काली रात और उस काली रात में तांत्रिक बाबा मंत्र जाप करते हुए दिखाई देते हैं. यही हाल है सभी का क्योंकि हमने इसे देखा ही ऐसे है जिसके चलते आपके दिमाग में सबसे पहले यही छवि बनती है. कई बच्चों को तो इस काले जादू के बारे में पता भी नहीं होता हैं. लेकिन भारत में ही एक ऐसा गाँव हैं जहां के बच्चे तक काला जादू करना जानते हैं. वैसे तो ये सब करना गैर क़ानूनी है लेकिन फिर भी लोग इसमें यकीन करते हैं.
आपको बता दें ये असम में मायोंग गांव ऐसा है जिसे काले जादू का गढ़ कहा जाता है. मायोंग नाम संस्कृत शब्द माया से लिया गया है. इसके पीछे की भी कहानी है, महाभारत में भी मायोंग का जिक्र आता है. माना जाता है की भीम का मायावी पुत्र घटोत्कच मायोंग का ही राजा था. कहते हैं कि 1332 में असम पर मुग़ल बादशाह मोहम्मद शाह ने एक लाख घुड़सवारों के साथ चढ़ाई की थी. तब यहां हज़ारों तांत्रिक मौजूद थे, उन्होंने मायोंग को बचाने के लिए एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी जिसको पार करते ही सैनिक गायब हो जाते थे.
जो भी यहां आता है वो आसपास के गांव के लोग यहां आने से डरते हैं. यहां आने वाले अधिकतर लोग काले जादू से बीमारियों को दूर करने या किसी और पर काला जादू करवाने के लिए आते हैं. मायोंग में बूढ़े मायोंग नाम की एक जगह है, जिसे काले जादू का केंद्र माना जाता है. यहां शिव, पार्वती व गणेश की तांत्रिक प्रतिमा है, जहां सदियों पहले नरबलि दी जाती थी. यहां योनि कुंड भी है जिस पर कई मन्त्र लिखे हैं.
मान्यता है कि मंत्र शक्ति के कारण ये कुंड हमेशा पानी से भरा रहता है. माना जाता है कि यहां लोग गायब हो जाते है या फिर जानवरों में बदल जाते हैं. ये भी कहा जाता है की यहां लोग सम्मोहन से जंगली जानवरों को पालतू बना लेते हैं. काला जादू पीढ़ियों से चल रहा है. नई पीढ़ियों को भी आवश्यक रूप से सिखाया जाता है.
मायोंग के लोग काले जादू का उपयोग केवल समाज की भलाई के लिए करते है. हालांकि कई विधाएं जानते है लेकिन वे इसका उपयोग केवल लोगों की बीमारियां ठीक करने और चोरों को पकड़ने के लिए करते है.
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