गुवाहाटी: पूर्वोत्तर में शांति बहाल करने की कोशिशें लगातार हो रही है। ऐसे में आज यानी गुरुवार को सरकार और 5 विद्रोही समूहों के बीच त्रिपक्षीय समझौता होने जा रहा है। जी हाँ और सबसे अहम और खास बात है कि इस ऐतिहासिक मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और कई अन्य बड़े अधिकारी मौजूद रहेंगे। आप सभी को बता दें कि जनवरी 2020 में भी भारत सरकार, असम सरकार और बोडो के प्रतिनिधियों के बीच समझौता हुआ था। जी दरअसल शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया है कि गृहमंत्रालय में शाम 5 बजे के बाद समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। जी हाँ और इस शांति समझौते में केंद्र सरकार, असम सरकार और राज्य के पांच विद्रोही समूह हस्ताक्षर करेंगे।
केवल यही नहीं बल्कि इनमें ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, आदिवासी कोबरा मिलिटेंट्स ऑफ असम, बिरसा कमांडो फोर्स, संथल टाइगर फोर्स और आदिवासी पीपुल्स आर्मी शामिल हैं। वहीं अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल इन समूहों ने सरकार के साथ सीजफायर समझौता किया है। इसके अलावा यह भी खबर है कि इन समूहों के सैकड़ों सदस्य अस्थायी रूप से असम पुलिस के संरक्षण में कैंप में रह रहे हैं। इन समूहों ने करीब एक साल पहले ही अपने काम बंद करने का ऐलान कर दिया था और तब से ही सीजफायर और शांतिवार्ता जारी है।
खबरों के अनुसार समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान सीएम सरमा और असम सरकार के कई अधिकारी, केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला समेत कई नेता मौजूद रहेंगे। जी हाँ और इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर से पहले सरमा पांच उग्रवादी संगठनों के साथ असम हाउस में मुलाकात करेंगे। वहीं इसके बाद वह गृहमंत्रालय के लिए निकलेंगे। इससे पहले भी उन्होंने समूहों से चर्चा की थी। सबसे अहम और खास बात है कि 2020 बोडो प्रतिनिधियों के साथ हुए समझौते के साथ ही 50 साल पुराने बोडो संकट पर विराम लग गया था। जी हाँ और आंकड़े यह बताते हैं कि समझौते के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के तीन गुटों के कुल 1615 कैडर्स ने हथियार छोड़ दिए थे।
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