पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को कानूनी तौर पर बड़ा झटका लगा है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव और उनके परिवार की संपत्ति जब्त कर लिया है। इसमें गाजियाबाद और बिहार की संपत्ति शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने पटना स्थित बिहटा, महुआबाग, दानापुर में संपत्ति को जब्त किया है। इसके अलावा ED ने उत्तर प्रदेश में लालू की बेटी हेमा यादव की संपत्ति को भी अटैच किया है। ये जानकारी भी सामने आ रही है कि ED ने तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित 'डी ब्लॉक' वाली बहुचर्चित प्रॉपर्टी को भी अटैच किया है। बता दें कि, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव और उनके परिवार की संपत्ति को तीसरी दफा अटैच किया है। इस बार उनकी गाजियाबाद और बिहार की भी प्रॉपर्टी शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नौकरी के बदले जमीन लेने (Land For Job Scam) मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने लालू परिवार पर शिकंजा कसा है। जानकारी के अनुसार, अटैच संतत्तियों की कीमत 6 करोड़ 2 लाख रुपये बताई गई है। हालांकि, इन सम्पत्तियों का बाजार मूल्य इससे कई गुना अधिक है। बता दें कि, यह बात कॉंग्रेस के नेतृत्व वाली UPA-1 के शासनकाल सन 2004-2009 के बीच की है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। बिहार में 15 साल तक सत्ता में रहने वाले लालू प्रसाद यादव उस सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री थे। सन 2008 में रेलवे में नौकरी देने के बदले अभ्यर्थियों से रिश्वत के रूप में जमीन ली गई। यह जमीन पटना सहित अन्य स्थानों पर खरीदी गई। अभ्यर्थियों को रेलवे के ग्रुप-डी में नौकरी देने के लिए रेलवे ने कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी। जिन लोगों ने जमीनें दीं, उन्हें तीन दिन के अंदर मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नौकरी मिल गई। जिन लोगों को नौकरी मिली, उनमें से कुछ लोगों ने फर्जी प्रमाण-पत्र का उपयोग भी किया।
CBI ने अपनी जांच में पाया है कि लालू यादव को पटना में 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन दी गई। इन जमीनों की खरीद में नकद भुगतान हुआ और उन्हें बेहद कम दाम पर खरीदा गया। लालू यादव और उनके परिजनों को 7 उम्मीदवारों की नौकरी के बदले में जमीनें मिलीं। इनमें से 5 जमीनों को बेच दिया गया, जबकि दो जमीनें उन्हें उपहार के रूप में दी गईं। इस घटना में, केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने अपनी जांच में खुलासा किया कि यह डील में लालू यादव ही नहीं, उनके व्यक्तिगत सहायक भोला यादव, पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटी मीसा भारती, और हेमा यादव जैसे कुछ उम्मीदवार भी शामिल हैं। इस मामले में CBI 2022 में भ्रष्टाचार के एक नए केस की दर्ज़ी किया था।
मामला-1: जांच में CBI ने पाया कि फरवरी 2007 में पटना के निवासी हजारी राय ने अपनी 9527 वर्ग फुट जमीन को एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया। इस जमीन की कीमत 10.83 लाख रुपये थी। बाद में हजारी राय के दो भतीजे दिलचंद कुमार और प्रेमचंद कुमार को रेलवे में नौकरी मिली। CBI की जांच में यह बात सामने आई कि साल 2014 में एके इन्फोसिस्टम के सभी हक़ और संपत्तियाँ राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर चली गईं। साल 2014 में राबड़ी देवी ने इस कंपनी के अधिकांश शेयर ख़रीदे और इस कंपनी की डायरेक्टर बन गईं।
मामला-2: नवंबर 2007 में पटना की निवासी किरण देवी ने अपनी 80,905 वर्ग फुट जमीन को लालू यादव की बेटी मीसा भारती के नाम पर कर दिया। इस डील की कीमत सिर्फ 3.70 लाख रुपये थी। बाद में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में नियुक्ति मिली।
मामला-3: इसी तरह, फरवरी 2008 में पटना के निवासी किशुन देव राय ने अपनी 3375 वर्ग फुट जमीन को राबड़ी देवी को बेच दिया। इस जमीन की कीमत 3.75 लाख रुपये थी। इसके बदले में किशुन राय के परिवार के तीन लोगों को रेलवे में नौकरी मिली।
मामला-4: इसी तरह, फरवरी 2008 में पटना के महुआबाग में निवासी संजय राय ने अपनी 3375 वर्ग फुट जमीन को राबड़ी देवी को बेच दिया। इस जमीन की कीमत 3.75 लाख रुपये थी। इसके बदले में संजय राय और उनके परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी मिली थी।
मामला-5: इसी तरह, मार्च 2008 में ब्रिज नंदन राय ने अपनी 3375 वर्ग फुट जमीन को ह्रदयानंद चौधरी को बेच दिया। इस डील की कीमत 4.21 लाख रुपये थी। इसके बाद ह्रदयानंद चौधरी ने यह जमीन लालू यादव की बेटी हेमा यादव को तोहफ़े में दे दी। ह्रदयानंद चौधरी को साल 2005 में हाजीपुर में रेलवे में नियुक्ति मिली थी।
मामला-6: मार्च 2008 में विशुन देव राय ने अपनी 3375 वर्ग फुट जमीन को सिवान के निवासी ललन चौधरी को बेच दिया। उसी साल ललन के पोते पिंटू कुमार को पश्चिमी रेलवे में नियुक्ति मिली। इसके बाद फरवरी 2014 में ललन चौधरी ने यह जमीन लालू यादव की एक और बेटी हेमा यादव को गिफ्ट कर दी।
मामला-7: इसी तरह, मई 2015 में पटना के निवासी लाल बाबू राय ने अपनी 1360 वर्ग फुट जमीन को राबड़ी देवी को बेच दी। इस डील की कीमत 13 लाख रुपये थी। CBI की जांच में पता चला कि साल 2006 में लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को रेलवे में नियुक्ति मिली थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, CBI की जांच में पता चला कि लालू यादव और उनके परिवार ने बिहार में 1.05 लाख वर्ग फीट की जमीन को सिर्फ 26 लाख रुपए में ख़रीदी थी। जबकि उस समय के सर्किल रेट के अनुसार उन जमीनों की कुल कीमत लगभग 4.40 करोड़ रुपए थी। CBI ने यह खुलासा किया कि जमीनों की ख़रीद के मामले में अधिकांश जमीनों के लिए नकद पैसे दिए गए थे। इसी नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में ED ने लालू परिवार के खिलाफ शिकंजा कसा है।
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