होली नजदीक है इस दिन हम रंगो की मस्ती में खुद की परवाह करना जरा कम कर देते है, मगर ये जरा सी असावधानी आपको गंभीर नुकसान पंहुचा सकती है यहाँ तक की आप दमा जैसी गंभीर बीमारी के शिकार भी हो सकते है. त्योहार को लेकर चिकित्सकों की राय है कि चिकने और सस्ते रंग न सिर्फ लोगों को त्वचा की बीमारी दे सकते हैं, बल्कि इनसे दमा भी हो सकता है,सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल लोगों ने कम कर दिया है,गुलाल खरीदते वक्त भी लोग ध्यान नहीं देते हैं.
मुनाफे के चक्कर में दुकानदार सस्ता और खराब गुणवत्ता वाले गुलाल दे देते हैं. महर्षि वाल्मीकि अस्पताल के डा. पंकज सोलंकी का कहना है कि पिछले वर्ष कई ऐसे मरीज देखने को मिले हैं, जिन्हें गुलाल लगने के बाद श्वास लेने में तकलीफ हुई, हालांकि, मरीजों ने तत्काल अस्पताल में संपर्क किया, अगर देरी करते तो दमा की शिकायत होने की आशंका और ज्यादा बढ़ गई होती.
आयुर्वेद सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक डा. आर पी पाराशर बताते हैं कि क्रोमियम, सिलिका, लेड, अल्कालाइन और कांच का चूरा रंगों में मिला होता है, त्वचा को नुकसान के साथ आंखों में संक्रमण, अल्पकालीन अंधत्व, दमा और स्किन कैंसर जैसे रोग होने का भी खतरा बढ़ जाता है, उनका कहना है कि हर्बल रंग और गुलाल से ही होली खेलें.
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