भारत एक ऐसा देश है जहां धन की धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से विधिवत पूजा होती है। मनुष्य के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) में दूसरा पुरुषार्थ अर्थ यानि धन है। धन से व्यक्ति का आर्थिक जीवन तो सबल होता ही है। इसके साथ में उसका सामाजिक स्तर भी ऊँचा होता है। परन्तु धन के अभाव से व्यक्ति अपनी भौतिक जरुरतों को पूरा नहीं कर पाता है। आज हम ज्योतिष शास्त्र में बताए गए धन प्राप्ति के उपाय के बारे में बताएंगे।
ज्योतिष में धन से जुड़े कारक
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को धन, संपदा, वैभव, ऐश्वर्य, भौतिक सुख-संसाधन आदि का कारक माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति का आर्थिक जीवन अच्छा होता है। इसके अलावा शुक्र के कमजोर होने पर वित्तीय परेशानियां आती हैं। इसके साथ ही बृहस्पति ग्रह का संबंध भी धन से जुड़ा हुआ है। कुंडली का दूसरा भाव धन भाव कहलाता है। इस भाव से व्यक्ति के जीवन में धन और धन की बचत को देखा जाता है। इसके साथ ही कुंडली का ग्यारहवां घर भी आय से जुड़ा हुआ है। इस भाव से व्यक्ति की आमदनी को देखा जाता है। आर्थिक जीवन को मजबूत करने के लिए जन्मपत्री के दूसरे और ग्यारहवें का घर का मजबूत होना जरूरी है।
ज्योतिष के अनुसार, धन प्राप्ति के सरल उपाय
कुंडली में शुक्र और गुरु ग्रह की स्थिति को मजबूत करें।
कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें भाव और इन दोनों भाव के मालिक ग्रहों को बलशाली बनाएं।
शुक्रवार की पूजन में श्रीसूक्त का पाठ करें।
तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी पूजा करें।
घर की रोजाना साफ-सफाई करें।
धन के देवता कुबेर की पूजा करें।
श्री यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र और श्री धन वर्षा यंत्र की स्थापना कर, उसकी पूजा करें।
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