गुजरात के सूरत में लगने वाले एक मेले के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। जी दरअसल यहाँ साल में एक बार, श्मशान में ऐसा अनोखा मेला लगता है जिसके बारे में जानकर आपके होश उड़ने वाले हैं। जी दरअसल श्मशान में लगने वाले इस मेले में मृतकों की अंतिम इच्छापूर्ति के लिए, ना सिर्फ़ मृतक की पसंदीदा चीजें चढ़ाई जाती हैं, हालाँकि शमसान के मंदिर में प्रसाद के रूप में ज़िंदा केकड़े भी चढ़ाए जाते हैं। जी दरअसल सूरत के रामनाथ घेला शमसान भूमि के इस रुंधनाथ महादेव मंदिर में आने वाले भक्त ज़िंदा केकड़े चढ़ाते नज़र आ रहे हैं। आप सभी को बता दें कि शिवलिंग पर केकड़े चढ़ाने वाले भक्त साल में एक बार, इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर और मन्नतें मांगने के लिए आते हैं।
वहीं माघ महीने की एकादशी के दिन, साल में एक बार भक्त अनोखा प्रसाद चढ़ाकर, पूजा पाठ करते हैं। आप सभी को बता दें कि यहां केकड़े चढ़ाने के पीछे लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से शारीरिक रोग मिट जाते हैं। सबसे ख़ासकर कानों का बहरापन मिट जाता है। आप सभी को बता दें कि मंदिर में आने वाले भक्तों के हाथों में अन्य प्रसाद सामग्री के अलावा सिर्फ़ केकड़े होते हैं। आप सभी को बता दें कि इस शिव मंदिर में आने वाले भक्त ना सिर्फ़ शिवलिंग पर ज़िंदा केकड़े चढ़ाते हैं, बल्कि जहां शवों का अंतिम संस्कार होता है, वहां जाकर भी पूजा-पाठ करते हैं। केवल यही नहीं बल्कि यहां वह लोग पूजा करते हैं जिनके किसी अपने का अंतिम संस्कार हुआ हो।
जी दरअसल इस श्मशान भूमि में जिन लोगों का अंतिम संस्कार हुआ हो, उनकी सबसे प्रिय रही चीज़ को, इस दिन यहां चढ़ाया जाता है। कहा जाता है ऐसा करने से मृतक को मोक्ष मिलता है। जी दरअसल मृतक जीते जी चाहे शराब का आदी रहा हो या किसी और व्यसन का या फिर उसका कोई प्रिय भोजन रहा हो, वह सभी सामान मृतक के परिजन यहां आकर चढ़ाते हैं। कहा जाता है इस श्मशान भूमि की कथा रामायण काल से जुड़ी है। जी हाँ, कहते हैं जब भगवान श्री राम चौदह वर्ष के वनवास में थे, तो वे यहां से गुजरे थे। इसी स्थान पर उन्हें अपने पिता दशरथ जी की मृत्यु का समाचार मिला था, तो उन्होंने इसी स्थान पर पिंडदान देकर मोक्ष की कामना की थी।
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