लखनऊ: माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद 17 वर्ष पुराने आपराधिक मामले में दोषी पाया गया है। मंगलवार (28 मार्च) को प्रयागराज की अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। खास बात है कि बीते 43 वर्षों में सरकारें आती गईं और जाती गईं, लेकिन अतीक का आतंक कायम रहा और इससे पहले उसे कभी किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया। 43 साल में पहली बार समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर संसद पहुंचने वाले अतीक अहमद किसी मामले में दोषी पाया गया है। अब माना जा रहा है कि यूपी की सियासत पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। फिलहाल, पुलिस उसे वापस गुजरात के साबरमती जेल ले जा रही है।
43 सालों में पहली बार दोषी करार दिया गया अतीक अहमद:-
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज की अदालत ने 17 वर्ष पुराने उमेश पाल के अपहरण के मामले में तीन लोगों को दोषी करार दिया है। अतीक के अलावा इनमें हनीफ और दिनेश पासी का नाम शामिल है। अदालत की तरफ से आरोपियों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। खास बात है कि मामले में 7 लोगों को बरी भी किया गया है। 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद 17 वर्ष पुराना मामला फिर सुर्ख़ियों में आ गया था। बताया जा रहा है कि राज्य में सत्ताधारी भाजपा, अतीक अहमद को दोषी ठहराए जाने को योगी आदित्यनाथ सरकार की उपलब्धि के रूप में पेश कर सकती है। यह इस प्रकार दिखाया जा सकता है कि जो प्रदेश में 43 वर्षों से नहीं हुआ, वह अब हो रहा है।
सपा राज में खुला घूमता था अतीक अहमद:-
रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया है कि सजा मिसाल कायम करेगी, क्योंकि 2017 से पहले समाजवादी पार्टी के राज में अतीक अहमद खुला घूमता था। उन्होंने बताया की, 'इससे आम आदमी को पता लगेगा कि पहले (सपा राज में) अतीक अहमद के घर से पहले ही कानून की राह खत्म हो जाती थी। जिस इलाके में अतीक का राज था, वहां पुलिस और कानून का जाना मना था। मगर पहली बार सरकार और कानून का खौफ अतीक के चेहरे पर दिखा।'
माफियाओं के केस वापस लेती थी सपा सरकार :-
उत्तर प्रदेश में भाजपा नेता सपा के शासन की याद दिला रहे हैं। इसके जरिए वह दिखा रहे हैं कि किस तरह सपा सरकार में माफिया पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए जाते थे और सपा नेता अतीक अहमद के साथ मंच साझा करते थे। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया है कि एक वक़्त था, जब दर्जनों जजों ने अपने आप को अतीक के खिलाफ मामलों में सुनवाई से अलग कर लिया था। अहमद के खिलाफ 43 वर्ष पहले आपराधिक केस दर्ज हुआ था और 2023 में पहली दफा किसी मामले में उसे दोषी ठहराया गया। हालांकि, योगी सरकार में उसे जेल भेजा गया। खास बात है कि फरवरी में प्रयागराज में हुई उमेश पाल की हत्या मामले में अहमद की अहम भूमिका मानी जा रही है। उस दौरान वह गुजरात की साबरमती जेल में कैद था।
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