'भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार..', अमेरिका की रिपोर्ट पर क्या बोली सरकार ?

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नई दिल्ली: आज गुरुवार को भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की एक रिपोर्ट को खारिज कर दिया। रिपोर्ट में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। भारत ने संगठन को पक्षपातपूर्ण बताते हुए इस रिपोर्ट की आलोचना की। भारत ने यह भी कहा कि उसे उम्मीद नहीं थी कि संगठन, देश के विविध, बहुलवादी और लोकतांत्रिक मूल्यों को समझेगा।

उन्होंने कहा, "हमें वास्तव में कोई उम्मीद नहीं है कि USIRF भारत के विविध, बहुलवादी और लोकतांत्रिक लोकाचार को समझने की कोशिश करेगा। दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के उनके प्रयास कभी सफल नहीं होंगे।" बता दें कि, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य अमेरिका आयोग एक अमेरिकी संघीय सरकार आयोग है जो 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा बनाया गया है। USIRF आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति और सीनेट और प्रतिनिधि सभा में दोनों राजनीतिक दलों के नेतृत्व द्वारा की जाती है। इससे पहले बुधवार को, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USIRF) ने आरोप लगाया था कि पिछले साल, भारत सरकार मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों, यहूदियों और आदिवासियों (स्वदेशी लोगों) को प्रभावित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा को संबोधित करने में विफल रही थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, "2023 में, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार बिगड़ती रही। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियों को मजबूत किया, घृणित बयानबाजी जारी रखी, और मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों को प्रभावित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा को संबोधित करने में विफल रही। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA), विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA), नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), और धर्मांतरण और गोहत्या विरोधी कानूनों के निरंतर प्रवर्तन के परिणामस्वरूप धार्मिक अल्पसंख्यकों और उन लोगों की मनमानी हिरासत, निगरानी और लक्ष्यीकरण हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, "धार्मिक अल्पसंख्यकों पर रिपोर्टिंग करने वाले समाचार मीडिया और गैर-सरकारी संगठन (NGO) दोनों को FCRA नियमों के तहत सख्त निगरानी के अधीन किया गया था। फरवरी 2023 में, भारत के गृह मंत्रालय ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के FCRA लाइसेंस को निलंबित कर दिया, जो सामाजिक रिपोर्टिंग के लिए समर्पित एक एनजीओ है। धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव सहित मुद्दों और राज्य की क्षमता, इसी तरह, अधिकारियों ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान मुस्लिम विरोधी हिंसा पर रिपोर्टिंग के लिए तीस्ता सीतलवाड सहित न्यूज़क्लिक पत्रकारों के कार्यालयों और घरों पर छापा मारा था।'' बता दें कि,  न्यूज़क्लिक पर चीन से फंडिंग लेकर भारत विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप है, जिसका कोर्ट में केस चल रहा है और मीडिया संस्थान के खिलाफ कई सबूत मिले हैं। वहीं, तीस्ता सीतलवाड़ पर कांग्रेस नेता से पैसे लेकर गुजरात दंगों में झूठे सबूत गढ़ने के आरोप हैं, ये मामला भी अदालत में है। 

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