नई दिल्ली: भारत में विपक्षी दल अक्सर सरकार पर आरोप लगाते रहते हैं कि, देश में मुस्लिमों का उत्पीड़न किया जा रहा है। विपक्षी गठबंधन के बड़े नेता राहुल गांधी तो देश ही नहीं, ब्रिटेन-अमेरिका के दौरों पर भी यह बात दोहरा चुके हैं। हालाँकि, इन दावों पर विश्वास किया जाना थोड़ा मुश्किल लगता है, क्योंकि, भारत में अदालतें हैं, अल्पसंख्यकों के लिए आवाज़ उठाने वाले संगठन हैं, उनके मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर, यहाँ तक कि संयुक्त राष्ट्र (UN) तक ले जाने वाले पत्रकार हैं, ऐसे में भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार के दावे केवल राजनितिक प्रतीत होते हैं। हाँ, पाकिस्तान जरूर शुरू से भारत पर ये आरोप लगाता रहा है, लेकिन दुनियाभर में उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं बची है, फिर भी वो भारतीय मुस्लिमों को भड़काने के लिए ऐसे पैंतरे चलता रहता है। अब शायद इन आरोपों का असर देखने को मिल रहा है।
दरअसल, दो भारतीय मुसलमान मोहम्मद हसनैन और इशाक अमीर भारत में मुस्लिमों पर धार्मिक अत्याचार का आरोप लगाकर पाकिस्तान में शरण लेने पहुंचे हैं। पिछले सप्ताह अवैध रूप से कराची की यात्रा करने वाले दो भारतीय नागरिकों ने मंगलवार (26 सितंबर) को कहा कि वे जेल जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन भारत नहीं लौटना चाहते। कराची पुलिस ने दावा किया है कि मोहम्मद हसनैन और इशाक अमीर भारत में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से अपनी जान को खतरा होने पर शरण लेने के लिए पाक-अफगानिस्तान सीमा के रास्ते पाकिस्तान में दाखिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला लिया। हालाँकि, भारतीय मुसलमान आज भी कहते हैं कि, उन्होंने इस्लामी राष्ट्र होने के बावजूद पाकिस्तान को न चुनकर पंथनिरपेक्ष भारत को चुना, क्योंकि, वे जानते थे कि, वे भारत में ही सुरक्षित रहेंगे। लेकिन, आज उनमे से ही कुछ भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार का आरोप लगा रहे हैं। शायद राजनेताओं की बयानबाज़ी और पाकिस्तान की पैंतरेबाज़ी अपना असर दिखाने लगी है।
कराची पुलिस उप महानिरीक्षक असद रजा ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि पिता-पुत्र की जोड़ी पर जासूस होने का शक नहीं था। हालांकि, उन्हें भारत में धार्मिक उत्पीड़न शिकार माना गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया है कि बाप-बेटे को अस्थायी रूप से ईधी शेल्टर होम में रखा गया है। कराची पुलिस उप महानिरीक्षक असद रजा ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि ये दोनों पाकिस्तान में पनाह लेना चाहते हैं। आर्टिलरी ग्राउंड पुलिस स्टेशन ने आज अलग से जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि दोनों लोगों ने भारत में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ रविवार (25 सितंबर) को कराची प्रेस क्लब के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस के बयान में उनके हवाले से कहा गया कि, "हम जेल जाने को तैयार हैं, मगर भारत वापस नहीं। यदि हमें निर्वासित किया गया तो हम भारत की जमीन पर कदम रखते ही मार डाले जाएंगे।'' बाप-बेटे की जोड़ी के हवाले से कहा गया कि वे सिंध पुलिस प्रमुख के कार्यालय गए थे, किन्तु उनकी परेशानियों का समाधान नहीं किया गया। इसके बाद उन्हें 4 दिनों के लिए ईधी शेल्टर होम में रखा गया है। उन्हें आज कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा। उनके सारे आधिकारिक भारतीय कागज़ात ईधी स्टाफ के पास हैं। पुलिस के बयान में कहा गया कि भारतीय नागरिकों ने पाकिस्तान में दाखिल होने से पहले नई दिल्ली के गौतमपुरी इलाके में स्थित अपने घर से 14 दिनों की यात्रा पूरी की।
कराची पुलिस ने बाप-बेटे से पाकिस्तान आने के लिए बनाई गई योजना के बारे में सवाल किया। इस पर पिता ने बताया कि वो और उनका बेटा 5 सितंबर को नई दिल्ली से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के लिए निकले। जहां से वे वीजा के लिए अफगानिस्तान दूतावास पहुंचे। इसके बाद वो काबुल गए और कंधार के लिए फ्लाइट पकड़ी। कंधार पहुंचने के बाद वहां से पाकिस्तान में दाखिल हुए। उन्होंने एक रात पाकिस्तान-अफगानिस्तान सरहद के पास बिताई। इसके अगले दिन पाकिस्तान की तरफ बढ़ने लगे। पाकिस्तान में दाखिल होने के बाद उन्होंने कराची ले जाने के लिए एक व्यक्ति को 60,000 रुपये दिए।
नशाखोरी को सियासी संरक्षण ! ड्रग्स मामले में गिरफ्तर हुए कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा
Asian Games 2023: चीन के घर में घुसकर चीन को दी मात, शूटिंग में भारत को एक और गोल्ड मेडल