नई दिल्ली: हिन्दुस्तान में ठंड दस्तक दे चुकी है, लेकिन अभी मौसम में कभी ठंडी और गर्मी जैसा उतार-चढ़ाव नज़र नहीं आया है। हालांकि कश्मीर घाटी में तापमान शून्य से नीचे चला गया है। जहां यह भी कहा जा रहा है कि इस बार उत्तर भारत और मध्य भारत के क्षेत्रों में पारा सामान्य से नीचे जा सकता है। अर्थात इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने का पूरा अनुमान है।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक ला नीना प्रभाव की वजह से इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने का अनुमान है तथा इस बार उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठड़ पड़ने वाली है और इसके चलते क्षेत्र में ऊर्जा संकट बढ़ने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। हिंदुस्तान में जनवरी और फरवरी में देश के कुछ उत्तरी क्षत्रों में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक नीचे जाएगा।
प्रशांत क्षेत्र में ला नीना उभरता हुआ नज़र आ रहा है। आमतौर पर इसका अर्थ है कि उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान का सामान्य से भी कम होता है। इस स्थिति ने क्षेत्रीय मौसम एजेंसियों को कड़ाके की सर्दी के बारे में अलर्ट जारी करने के लिए प्रेरित किया है। जहां इस बात का पता चला है कि कई देश खासकर चीन ईंधन की ऊंची कीमतों और बिजली के संकट से लड़ रहे है। कोयले और गैस के दाम पहले से ऊंचाई पर हैं। ऐसे में कड़ाके की ठंड से इन चीजों की मांग और भी ज्यादा बढ़ती जा रही है। पूरे उत्तर-पूर्व एशिया में इस बार सर्दी में तापमान सामान्य से कम रहने वाला है। जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक के कारा सागर में समुद्री बर्फ की कमी होती जा रही है, जो क्षेत्र में उच्च दबाव से छुटकारा पाने में योगदान दे सकता है। यह पूरे उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठंड की ओर इशारा करता है, जैसे बीते वर्ष ठंड में हुआ था।
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