नई दिल्लीः देश के अर्थव्यवस्था में छाई मंदी को लेकर सरकार निशाने पर है। विपक्ष सरकार को अक्षम बताकर निशाना साध रही है। मंदी के कारण कंपनियों में जबरदस्त छंटनी का दौर चल रहा है। सरकार का कहना है कि बाहरी कारणों से भी अर्थव्यवस्था में मंदी है। अगर बात दुनिया की करें तो ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था भी इन दिनों गोते खा रही है। देश की वार्षिक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बीतेऑस्ट्रेलिया करीब 28 साल से मंदी को टालने में कामयाब रहा है लेकिन बुधवार को जारी आंकड़ों से देश के आर्थिक परिदृश्य को लेकर चिंता की स्थिति पैदा हो गयी है।
देश के केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों की कमजोर खरीद धारणा के कारण मंगलवार को मुख्य ब्याज दर को घटाकर रिकॉर्ड एक फीसदी पर कर दिया। एक दशक के सबसे निचले स्तर पर आ गयी है। बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून में समाप्त वर्ष में ऑस्ट्रेलिया की जीडीपी वृद्धि दर महज 1.4 फीसदी पर रही। ऑस्ट्रेलिया एक जुलाई से अगले साल के 30 जून तक के समय को एक वित्त वर्ष मानता है।
ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से जून तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार महज 0.40 फीसदी रही। विश्लेषकों का मानना है कि बैंक अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। हालांकि वहां के पीेएम का मानना है कि स्थिति कंट्रोल में हैं।
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