केंद्र सरकार ने टोल टैक्स पर टैक्स वसूली के लिए 1 दिसंबर से फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। अब इसी के जरिए टोल टैक्स की वसूली की जाएगी। फिलहाल टोल पर फास्टैग का वितरण नि:शुल्क किया जा रहा है। यदि 1 दिसंबर तक कोई अपनी गाड़ी में ये फास्टैग नहीं लगाता है तो उसे दो गुना टोल देना होगा। वहीं अगर किसी टोल पर स्कैनर में कोई खराबी है और फास्टैग को स्कैन नहीं कर पा रहा है, तो वाहन चालक को कोई पैसा नहीं चुकाना होगा। वह फ्री में ही टोल से गुजर सकेगा। हम आपको बता रहे हैं फास्टैग से जुड़ी खास बातें...
Fastag: यह एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग है जिसे वाहन के विंडशील्ड पर लगाया जाता है, ताकि गाड़ी जब टोल प्लाजा से गुजरे तो प्लाजा पर मौजूद सेंसर फास्टैग को रीड कर सके। वहां लगे उपकरण ऑटोमैटिक तरीके से टोल टैक्स की वसूली कर लेते हैं। इससे वाहन चालकों के समय की बचत होती है। एनपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में देश के 537 टोल प्लाजा पर फास्टैग के जरिए टोल टैक्स की वसूली की जा रही है।
Scanning problem :नियम के मुताबित किसी टोल पर स्कैनर में कोई खराबी आ जाती है और वह आपका फास्टैग स्कैन नहीं कर पा रहा है, तो इसके लिए वाहन चालक जिम्मेदार नहीं होगा। इस स्थिति में चालक को कोई पैसा नहीं चुकाना होगा और वह फ्री में टोल से गुजर सकेगा। इसके लिए टोल पर बोर्ड लगाने के लिए भी कहा गया है, जिससे जागरुकता फैलाई जा सके।
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि जो भी कोई फास्टैग नहीं लगवाएं उसे डबल टोल का भुगतान करना होगा। हालांकि बिना फास्टैग लगी गाड़ियो के लिए टोल प्लाजा पर एक लैन रहेगी ।
Validity:फास्टैग की वैलिडिटी खरीदने के बाद 5 साल तक है। इस अवधि तक आपको बस इसे रिचार्ज कराते रहना है। फास्टैग को नेटबैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, यूपीआई और अन्य तरीकों से भी रिचार्ज कराया जा सकता है।
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