ड्राइव के अंदाज पर ही निर्भर करता है कि घिसने वाले पार्ट्स कितनी दूर तक साथ देंगे, खासतौर पर आपकी कार के ब्रेक्स। इन बातों को अपनाकर ब्रेक्स की जिंदगी बढ़ाई जा सकती है और काफी पैसा भी बचाया जा सकता है...
ज्यादा दूर नजर: कहा भी जाता है कि कार ड्राइव करते वक्त जितनी दूर की नजर रहेगी, उतनी बढ़िया ड्राइविंग होगी। लेकिन ज्यादातर ड्रायवर गाड़ी चलाते वक्त करीब ही नजर रखते हैं। नजर दूर रहेगी तो कंट्रोल करने का वक्त भी उतना ज्यादा मिलेगा। ट्रैफिक लाइट्स को आप दूर से देख पाएंगे और टाइमर के हिसाब से स्पीड सेट कर लेंगे। साफतौर पर इससे ब्रेकिंग कम होगी और ना ही निर्दयता से ब्रेक पैडल पर पैर मारना होगा।
पर्याप्त दूरी: आगे चलने वाली गाड़ी के बेहद करीब अगर ड्राइव करेंगे तो ब्रेक लगाने के ज्यादा मौके आएंगे। जितनी ज्यादा ब्रेकिंग उतना अधिक घिसाव। आगे चलने वाली गाड़ी से जितनी अधिक दूरी रहेगी, कार को कंट्रोल करने के ज्यादा विकल्प आपके पास होंगे।
गिअर डाउन करने के फायदे: गाड़ी की स्पीड को कम करने के लिए गिअर कम करने की युक्ति भी अपनाई जाती है। एक तयशुदा स्पीड पर जब गिअर कम करते हैं तो इससे गिअर बॉक्स पर बुरा असर नहीं होता और कार प्रभावी ढंग से धीमी भी हो जाती है। कम से कम पहाड़ी ढलान या घाट पर उतरते वक्त तो ऐसा किया ही जा सकता है। ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में तो यह संभव नहीं लेकिन मैन्युअल कारों में ऐसा किया जा सकता है।
ठंडा रखें: ज्यादा देर तक अगर ब्रेक सिस्टम्स गर्म बने रहें तो इनके पार्ट्स की उम्र कम तो कम होती ही है, खराब भी हो सकते हैं। ऐसे में आपको ही ब्रेक्स के तापमान को नीचे लाने की कोशिश करना होगी। ब्रेक का तापमान किसी पहाड़ी उतार पर, तेज स्पीड कार को बार-बार रोकने की कोशिश में अमूमन उच्च स्तर पर पहुंचता है। इस तापमान को नियंत्रण में लाने के लिए बनती कोशिश, कुछ समय के लिए स्पीड में कार चलाएं। इससे ठंडी हवा ब्रेक पर से गुजरेगी और सिस्टम ठंडा होगा।
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