पिछले कुछ समय में SUV ग्राहकों की संख्या में बड़ी कमी आयी है और जैसे-जैसे अप्रैल 2020 नजदीक आती जा रही है, वैसे ही वाहन निर्माता कंपनियों की दिल की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैं। अभी भी कई कार कपनियां ऐसी हैं जिन्होंने अभी तक अपनी एक भी कार या SUV को BS6 उत्सर्जन मानक में अपग्रेड नहीं किया है। यही वजह है कि ग्राहक भी अपनी च्वाइस बदल रहे हैं। क्युकी बीएस6 मानकों के चलते पेट्रोल और डीजल गाड़ियां गाड़ियों की कीमतों में बड़ा अंतर आने वाला है। कार कंपनियां भी इसका पहले ही एलान कर चुकी हैं, कि डीजल मॉडल्स की कीमत पेट्रोल के मुकाबले दो लाख रुपये से ज्यादा हो सकती है। मारुति पहले ही अपनी कुछ कारों में डीजल इंजन बंद करने का एलान कर चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने वाला है।
ध्यान देने बात ये भी है की अगले साल अप्रैल 2020 से देश में नए उत्सर्जन मानक BS6 लागू होने वाले हैं, लेकिन कई गाड़ियां अभी तक नए मानकों में अपग्रेड नहीं हुई हैं। जिसके चलते खास तौर पर SUV सेगमेंट में लोग पेट्रोल गाड़ियों को पसंद कर रहे हैं। अभी तक इस सेगमेंट में ड़ीजल इंजनों का राज था, लेकिन सितंबर 2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक 35 फीसदी SUV सेगमेंट की गाडियां पेट्रोल वर्जन वाली बिकी हैं। जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 17 फीसदी है।
पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल और ड़ीजल की कीमतों में पांच रुपये से भी कम का अंतर रह गया है, वहीं मई 2012 में यह अंतर 31 रुपये तक पहुंच गया था। देश के कुछ राज्यों जैसे गुजरात, ओडिशा, गोआ में डीजल की कीमत पेट्रोल से भी ज्यादा है। वहीं ग्राहकों का पर्यावरण के प्रति सचेत होना भी इसकी वजह माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ियों एमजी हेक्टर और किआ सेल्टोस में सबसे ज्यादा पेट्रोल वेरियंट्स की ही बिक्री हो रही है।
Mustang Mach-E ने अपने नाम किया ये नया रिकॉर्ड, फीचर्स भी काफी आकर्षक
लद्दाख के लोगो के लिए खुशखबरी, अब मिलेगा अलग पंजीयन, ये होगा पंजीकरण टैग
खुद को मल्टी टास्किंग बनाने के चक्कर में कहीं इस बिमारी का शिकार तो नहीं हो रही आप ...