पेट्रोल या डीजल की बजाए जल्द ही हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ सकती है। यूएनएसडब्ल्यू की अगुवाई वाली वैज्ञानिकों की टीम ने हाइड्रोजन ऊर्जा को बनाने के लिए बहुत सस्ता और सुलभ समाधान ढूंढ लिया है। यह नई खोज वायु प्रदूषण की मार झेल रहे भारत जैसे देशों के लिए बहुत कारगर समाधान साबित हो सकती है।
एक शोध के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन को पानी से अलग करने का सफल प्रयोग किया है। वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन को सोखने के लिए पानी में से ऑक्सीजन को अलग किया। इसे लोहा और निकल जैसी कम लागत वाली धातुओं को उत्प्रेरक के तौर पर इस्तेमाल करके प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन को निकालने में बहुत कम ऊर्ज की जरूरत होती है। यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। हाइड्रोजन को पानी से अलग करने की इस प्रक्रिया में लोहा और निकल जैसी धातुओं का इस्तेमाल होता है। यह धरती पर ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं।
अब तक 'वाटर-स्प्लिटिंग' प्रक्रिया में रूथेनियम, प्लैटिनम और इरिडियम जैसी कीमती धातुओं का इस्तेमाल होता था। अब इनकी जगह पर लोहा और निकल जैसी सस्ती धातु का प्रयोग होगा, जो अब इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में काम आएंगी। पानी के विभाजन में दो इलेक्ट्रोड पानी में एक इलेक्ट्रिक को चार्ज करते हैं, जो हाइड्रोजन को ऑक्सीजन से अलग कर देता है और इस ऊर्जा को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
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