नई दिल्ली: अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष ने अपने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को सार्वजनिक कर दिया है. मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि शीर्ष अदालत खुद तय करे कि किसे क्या राहत देनी है. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अदालत को ऐसा करते वक़्त संवैधानिक मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए. देश की सियासत और भविष्य पर होने वाले असर को देखते हुए फैसला सुनाना चाहिए.
सीलबंद लिफाफे में नोट देने पर हिन्दू पक्ष द्वारा विरोध जताए जाने के बाद मुस्लिम पक्ष ने सार्वजनिक मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ से संबंधित नोट सार्वजनिक किया है. मुस्लिम पक्ष ने लिखित जवाब में सब कुछ अदालत पर छोड़ते हुए यह उम्मीद जाहिर की है कि अदालत इस देश की विविध धर्मों/ संस्कृतियो को समेटे विरासत को ध्यान रखते हुए फैसला सुनाए. ये भी ध्यान रहे कि आने वाली पीढियां इस फैसले को किस तरह देखेंगी.
आपको बता दें कि अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकारों ने शीर्ष अदालत में संयुक्त रुप से 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़' पर अपनी वैकल्पिक मांग सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत की थी. रामलला विराजमान/हिंदू पक्षकारों ने मुस्लिम पक्ष का मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का हलफनामा सीलबंद लिफाफे में अदालत को देने पर विरोध जताया था. सुन्नी वक्फ़ बोर्ड में रिज़वी पक्ष ने कहा है कि सामाजिक समरसता को देखते हुए जो अदालत को उचित लगे, वह करे.
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