नई दिल्ली : अयोध्या मामले में सुनवाई सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ द्वारा की जाएगी. 10 जनवरी को इस मामले में सुबह 10.30 बजे से सुनवाई शुरू हो जाएगी. अयोध्या मामले के लिए संविधान पीठ का गठन हो चुका है. इसमें मुख्य न्यायाधीश समेत 5 जज शामिल होंगे. पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाइ चंद्रचूर्ण, जस्टिस यूयू ललित सुनवाई करेंगे. इससे पहले तत्कालीन मुख्य नयायधीश दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर इस मामले में सुनवाई कर चुके थे.
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इससे पहले शीर्ष अदालत से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा था, क्योंकि अदालत ने 1994 के इस्माइल फारुकी के निर्णय में पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया था. दरअसल, मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी अंग न बताने वाले इस्माइल फारुकी निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की थी. उल्लेखनीय है कि राम मंदिर के लिए हुए आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी. इस मामले में आपराधिक मामले के साथ ही दीवानी मुकदमा भी चला था. टाइटल विवाद से संबंधित यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
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इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांट दिया जाए. जिस स्थान पर रामलला की मूर्ति है वहां रामलला विराजमान कर दिए जाएं. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े के नाम कर दिया जाए, जबकि बाकी की एक तिहाई जगह सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रदान की जाए. इसके बाद अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान करने को लेकर और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, वहीं मुस्लिम पक्ष ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका लगाई थी.
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