नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट 29 अक्टूबर से राम जन्माभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई करेगा. 29 अक्टूबर को, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और दो अन्य न्यायाधीश यह भी तय कर सकते हैं कि मामले की सुनवाई रोज़ाना की जाएगी या फिर इसके लिए तारीखें निश्चित की जाएगी. इससे पहले 27 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया था, जिसमे कहा गया था कि इस्लाम धर्म को मानने के लिए मस्जिद जरुरी नहीं है.
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अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस मामले को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की जगह भूमि अधिग्रहण के मामले के तौर पर देखा जाएगा और इसी के तहत मामले की सुनवाई भी की जाएगी, ताकि मुद्दा राजनितिक तूल न पकड़े. उल्लेखनीय है कि 2019 चुनावों से पहले राम मंदिर मुद्दे को पार्टियों द्वारा जोर शोर से उछाला जा रहा है, आरएसएस की ओर से राम मंदिर को तत्काल बनवाने की मांग की जा रही है, साथ ही आरएसएस ने इस मामले पर मोदी सरकार से अध्यादेश लाने की भी मांग की है.
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इस मामले में मुख्या पक्षकार राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिंदू महासभा हैं, इसके अलावा अन्य कई याची जैसे सुब्रमण्यन स्वामी आदि की अर्जी है जिन्होंने पूजा के अधिकार की मांग की हुई है लेकिन सबसे पहले चार मुख्य पक्षकारों की ओर से दलीलें पेश की जाएंगी.
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