लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सियासत लगातार गर्माती जा रहा है, इस मामले पर जबसे सुप्रीम कोर्ट ने तारीख को टाला है उसके बाद एक-एक करके सियासी बयानबाजी सामने आ रही है. इसमे सबसे आगे भारतीय जनता पार्टी के नेता, मंत्री, आरएसएस के नेता शामिल हैं. राम मंदिर निर्माण में हो रही देरी से संत समाज भी ख़ासा ख़फ़ा है, उसने साफ कहा है कि राम मंदिर निर्माण में देरी मंजूर नहीं है. संत समाज ने केद्र सरकार से अपील की है कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए.
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हालांकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कहा है कि जल्द ही राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होगा. यही नहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगा. लेकिन इन सब के बावजूद संत समाज इस बात को लेकर नाराज है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर निर्माण को लेकर किसी तरह का ठोस आश्वासन नहीं दिया है. रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास ने कहा कि हम मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत करते हैं कि उन्होंने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया है, लेकिन हमें अपेक्षा थी कि संसद में कानून लाकर राम मंदिर निर्माण का ऐलान किया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तत्काल राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाना चाहिए. वहीं महंत परमहंस ने कहा कि फैजाबाद का नाम बदल दिया गया,इलाहबाद का अनाम बदल दिया गया, लेकिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के वायदे का क्या हुआ, जिस वायदे के साथ भाजपा सत्ता में आई थी. मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में राम मंदिर का जिक्र भी नहीं किया. उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि अगर राम मंदिर निर्माण की तारीख का 6 दिसंबर तक ऐलान नहीं किया जाता है तो मैं खुद को आग के हवाले कर दूंगा.
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