अयोध्या: देश में लंबे समय से चला आ रहा अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामला वर्तमान में भी शांत नहीं हो रहा है। जानकारी के अनुसार अयोध्या राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में पत्थर तराशने का कार्य 1990 से चला आ रहा है और अब तक लगभग एक लाख घन फुट पत्थर तराशे जा चुके हैं और ये कार्य लगातार चल रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट, अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहबाद हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है।
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दरअसल राम मंदिर के निर्माण में जिन पत्थरों का इस्तेमाल होना है उन पत्थरों के तराशे जाने पर अब निर्मोही अखाड़े ने निराशा व्यक्त की है। वहीं विश्व हिंदू परिषद के प्रान्तीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए साठ से 65 प्रतिशत तक कार्य हो चुका हैं, पूरे मंदिर निर्माण के लिये एक लाख 75 हजार घन फुट पत्थर का लगना है साथ ही पत्थर यहां लगातार आते रहते हैं। इसके विपरीत अयोध्या के निर्मोही अखाड़े द्वारा कहा जा रहा है कि विश्व हिंदू परिषद के इन तराशे हुए पत्थरों का वे इस्तेमाल नहीं करेंगे, जब उनके पक्ष में फैसला आएगा तो वे अपनी व्यवस्था स्वयं करेंगे।
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गौरतलब है कि अयोध्या राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसके अलावा कोर्ट ने 27 सितंबर को कहा था कि भूमि विवाद पर दीवानी वाद की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ 29 अक्टूबर को करेगी। इसके अलावा मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग है या नहीं यह मुद्दा उस वक्त उठा जब तीन न्यायाधीशों की पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। यहां बतां दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 30 सितंबर 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाये।लेकिन अब इस मामले में लगी याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और जज के एम जोसफ की पीठ सुनवाई करेगी।
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