प्रदेश सरकार ने आयुर्वेद पद्धति से मरीजों का उपचार करने के लिए आयुष नीति लागू की जा रही है। वही कैबिनेट से मंजूरी के बाद सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की जा सकती है। अब निवेशक हिमाचल में आयुष नीति के तहत आयुष थैरेपी यूनिट स्थापित कर सकेंगे। हिमाचल में पहली बार इस नीति को लागू किया गया है। सरकार की योजना के अनुसार आयुष थैरेपी यूनिट स्थापित करने को पूंजी सब्सिडी पर 25 फीसदी का प्रावधान किया है, जो अधिकतम एक करोड़ तक हो सकता है।
इसके अलावा इसमें भूमि पर किया खर्च शामिल नहीं होगा। ऋण पर चार फीसदी ब्याज दिया जा सकता है । यह प्रति वर्ष अधिकतम 15 लाख होगा। वही निवेशक इस नीति के तहत 10 सेक्टरों में निवेश कर सकते हैं। इसमें आयुष हेल्थ सेक्टर, आयुष मेडिसिटी, आयुष हॉस्पिटल, आयुष योगा और मेडिटेशन सेंटर, आयुष फार्मास्युटिकल, शिक्षण संस्थान, कल्टीवेशन और मेडिकल प्लांट मौजूद होंगे। इन सभी में निवेशकों को अलग-अलग इन्सेंटिव दिया जाएगा। आयुष अस्पतालों और औषधालयों को स्तरोन्नत किया जा सकता है। नीति का प्रमुख उद्देश्य द्वितीय एवं तृतीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धति को स्तरोन्नत एवं सुदृढ़ कर रोगियों को आयुर्वेद स्वास्थ्य केंद्रों में उचित सुविधाएं मुहैया करवाना है। इनमें चयनित परियोजनाओं में लीज रेंट और स्टांप ड्यूटी में छूट दी जा सकती है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इसके अलावा आयुष नीति लागू होने से प्रदेश में लोगों को बेहतर आयुर्वेद सेवाएं मिलेंगी। हेल्थ टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल सकता है। उद्यमियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए सरकार ने पॉलिसी में कई तरह के प्रोत्साहन दिए हैं। चार फीसदी ब्याज पर लोन, स्टेट जीएसटी में भी 7 सालों तक 75 फीसदी रिटर्न की सुविधा जैसी छूट दी गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा निवेशक हिमाचल आ सकते है ।
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