प्रवासी मजदूर और कई मामलों को लेकर मोदी सरकार के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का टकराव जगजाहिर है. सियासी नफा-नुकसान के चलते जनकल्याण से जुड़ी आयुष्मान भारत हो या फिर किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं को ममता ने बंगाल में लागू नहीं किया. अब जब कि यह उन गरीब व मजदूर लोगों को देश के किसी भी हिस्से में रहने के दौरान सरकारी राशन मिल सके इस योजना का केंद्र सरकार ने गुरुवार को एलान किया तो अब उसका भी विरोध शुरू कर दिया है. बंगाल की ममता सरकार ने साफ कह दिया है कि केंद्र द्वारा घोषित 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' योजना को लागू नहीं करेंगे.
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अपने बयान में राज्य के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने कहा कि,'हमारी सरकार ने पहले ही तय कर लिया है कि हम इस योजना को लागू नहीं करेंगे. हमलोगों ने यह फैसला 6-7 महीने पहले कर लिया था. हमारे राज्य में खाद्य साथी योजना पहले से ही चल रही है. इसलिए अलग से कुछ नहीं करना है. वर्तमान में 9 करोड़ लोग खाद्यसाथी से लाभान्वित है. मुझे नहीं पता कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की बातें किस तरह लागू होगी यह पता नहीं.'
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भाजपा नेताओं ने इस फैसले को लेकर सवाल उठाया है कि आखिर 'एक राष्ट्र,एक राशन कार्ड' योजना से ममता सरकार को परेशानी क्या है? यहां से लाखों लोग मजदूरी व नौकरी करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में जाते हैं. यदि यहां बने राशन कार्ड से उन्हें तमिलनाडु, पंजाब, कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र में राशन मिलेगा तो फिर ममता सरकार राजनीति क्यों कर रही है? लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ से क्यों वंचित कर रही है? इससे पहले आयुष्मान भारत और किसान सम्मान निधि से राज्य के लोगों को वंचित रखा गया है औक अब 'एक राष्ट्र,एक राशन कार्ड' से भी दूर करने पर आमादा है.
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