देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल आज एक ऐसी परिस्थिति में है, जहां से उसका आने वाला वक़्त तय होना है. सोमवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में जिस चिट्ठी को लेकर इतना झगड़ा शुरू हुआ, दरअसल उसकी स्क्रिप्ट 3 से 4 माह पहले ही लिखी गई थी. जिसको लेकर कई बार बैठकें भी हुईं, लेकिन सोमवार की बैठक में इस पर आर-पार की जंग देखि जा सकती है. बैठक में हालात इस तरह बिगड़े की दो वरिष्ठ नेताओं ने राहुल के विरुद्ध बयान दिया, हालांकि बाद में उसमें बदलाव कर दिया गया.
23 नेताओं के द्वारा लिखी गई इस चिट्ठी की कहानी कहां से शुरू हुई, पूरी बात समझिए...
1 जिन नेताओं ने बगावती चिट्ठी पर साइन किए हैं, उन्होंने पिछले तीन-चार महीने में कई राउंड की बैठकें की थीं.
2 नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में काफी दिनों से मंथन जारी था, सभी का विचार था कोई कदम उठाना चाहिए.
3 पिछले एक महीने से 10-12 नेताओं का एक ग्रुप गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में सोनिया गांधी के साथ बैठक करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन, स्वास्थ्य या किन्हीं अन्य वजहों के कारण ये बैठक नहीं हो पाई.
4 इसी कारण सात अगस्त को 23 नेताओं के इस ग्रुप ने एक चिट्ठी लिखी, जिसपर पूरा विवाद हुआ.
5 सोमवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में किसी तरह के 6 महीने के एक्सटेंशन या फिर किसी तरह के टाइमलाइन की बात नहीं हुई.
6 हालांकि, चिट्ठी लिखने वाले ग्रुप को अब इंतजार करना होगा. क्योंकि उनका मानना है कि अहमद पटेल और अन्य नेता अध्यक्ष पद के लिए आम सहमति बनाने पर जुटे हैं.
7 अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी को फिर से नहीं संभालते हैं, तो फिर एक बार फिर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के लिए मांग की जाएगी.
जंहा इस बात का पता चला है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी की ओर से इस्तीफा देने की बात बोली गई. हालांकि, सभी नेताओं ने सोनिया से ऐसा ना करने की बात कही. 7 घंटे तक चली बैठक में ज्यादातर नेताओं ने गांधी परिवार में भरोसा जताया, जिसके उपरांत सोनिया गांधी को अगला अध्यक्ष चुने जाने तक कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर राजी कर लिया. सोमवार की बैठक में पुरानी पीढ़ी vs नई पीढ़ी के बीच जंग देखने को मिली. जिन नेताओं ने चिट्ठी लिखी, उनपर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अतिरिक्तअहमद पटेल समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रश्न खड़े किए. साथ ही चिट्ठी की टाइमिंग पर भी हमला बोल दिया. बैठक के बीच ही कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद के राहुल गांधी के विरोध में बयान सामने आए, लेकिन बाद में दोनों ने अपने बयान को वापस कर लिया.
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