लखनऊ : प्रदेश के पूर्व मंत्री व सपा नेता आजम खान ने आर्थिक रुप से कमजोर सवर्णों को मिलने वाले दस फीसदी आरक्षण में से पांच फीसदी मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने की वकालत की है। आजम ने कहा है कि, अगर इस संवैधानिक बदलाव में देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के बारे में विचार नहीं हो रहा है तो इस आरक्षण का मतलब क्या है? चुनाव के वक्त एक बार फिर कम्युनल कार्ड खेला जा रहा है।
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यह बोले आजम खान
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार मंत्री आजम खां ने बताया, संसद ने सच्चर आयोग बनाया था। आयोग अपनी रिपोर्ट दस साल पहले दे चुका है कि, मुसलमानों की आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक स्थिति दलितों से भी बदतर है, इसलिए हमने मांग की थी कि हमें दलितों की श्रेणी में कर दिया जाए ताकि उन्हें वे सहूलियतें मिल जाएं जो दलितों को मिलती हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से ऐसा नहीं हुआ। अब इस बात का वक्त है कि जो रिजर्वेशन होने जा रहा है, उसमें सबसे ज्यादा हम ही फिट होते हैं।
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जानकारी के लिए बता दें आजम ने कहा है कि, जिन लोगों को आरक्षण दिया जा रहा है, उनके पास सामाजिक पिछड़ापन नहीं है, सिर्फ आर्थिक पिछड़ापन है। मुसलमानों के साथ आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक तीनों में पिछड़ेपन है। लिहाजा 10 फीसदी में से 5 फीसदी हमें अपनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
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