'मुंह में राम बगल में छूरी वाले हैं गांधी..', जब डॉ अंबेडकर ने 'हत्या' को बताया था देश के लिए अच्छा

'मुंह में राम बगल में छूरी वाले हैं गांधी..', जब डॉ अंबेडकर ने 'हत्या' को बताया था देश के लिए अच्छा
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नई दिल्ली: महात्मा गाँधी पर अभद्र टिप्पणी करने के बाद कालीचरण महाराज को गुरुवार (दिसंबर 30, 2021) खजुराहो से छत्तीसगढ़ पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। इसके बाद कुछ लोग इस गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वालों में डॉ आनंद रंगनाथन का भी नाम शामिल है।  डॉ आनंद रंगनाथन ने इस गिरफ्तारी पर अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ अंबेडकर के विचार पेश किए हैं, जिसमे डॉ अंबेडकर गाँधी के व्यवहार में ‘चालाकी’ की बात करते हैं। इसके साथ ही ‘बगल में छूरी मुँह में राम’ वाली कहावत की मिसाल देकर गाँधी को महात्मा मानने से इनकार कर देते हैं और कहते हैं कि उनके लिए गाँधी महज मोहन दास करमचंद गाँधी हैं। 

 

देश के पहले कानून मंत्री बाबा साहेब आंबेडकर,  गाँधी की राजनीति को भारतीय इतिहास की राजनीति की सबसे बेईमान राजनीति करार देते हैं और राजनीति में से नैतिकता खत्म करवाने का जिम्मेदार भी गाँधी को ठहराते हैं। बता दें कि यह बातें बाबा साहेब ने गाँधी को ‘महात्मा’ बुलाए जाने के संबंध में कही थीं। इसके साथ ही उन्होंने 8 फरवरी 1948 को बाबा साहेब ने अपनी पत्नी सविता अंबेडकर को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में वो अपनी पत्नी सविता को समझा रहे थे कि वो उनसे सहमत हैं कि गाँधी की मौत इस तरह नहीं होनी चाहिए थी। किन्तु इसके साथ ही बाबा साहेब ने अपने इस पत्र में ये भी स्पष्ट कहा था कि उनका (डॉ अंबेडकर का) अस्तित्व गौतम बुद्ध के अलावा किसी और से प्रेरित नहीं है।

इस पत्र में उन्होंने लिखा कि, 'मेरा मानना है कि महापुरुष अपने देश की सेवा करते हैं, किन्तु एक वक़्त आता है जब वे अपने देश की उन्नति में एक बाधा भी बन जाते हैं।' इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि गाँधी इस देश के लिए एक पॉजिटिव खतरा थे। उन्होंने सभी स्वतंत्र विचारों का गला घोंट दिया था। वह कांग्रेस को साथ पकड़े हुए थे, जो समाज में सभी बुरे और स्वार्थी तत्वों का मिश्रण है और जो सिर्फ गाँधी की चापलूसी के सिवा किसी सामाजिक और नैतिक सिद्धांत से सहमत नहीं होते। ये निकाय देश को चलाने में बिलकुल उचित नहीं है। इसी पत्र के आखिर में डॉ अंबेडकर लिखते हैं कि, 'जैसा कि बाइबल में लिखा है कि कई दफा कुछ अच्छी चीज किसी बुरी चीज से ही बाहर आती हैं। मुझे लगता है कि गाँधी की मौत से भी कुछ अच्छा ही होगा। ये लोगों को महान व्यक्ति के बंधन से मुक्त करेगा। यह उन्हें अपने लिए सोचने पर मजबूर करेगा कि उनका हित किसमें है।'

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