नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 मई) को दो आदेश पारित किए। जहाँ एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल को ED के लाख विरोध के बावजूद चुनाव प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दे दी, वहीं झारखंड के पूर्व सीएम और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख नेता को जमानत देने से इंकार कर दिया। जबकि सोरेन भी अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने हेतु जमानत मांग रहे थे। ED ने केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में यही दलील दी थी कि, आरोपित को जमानत देने से एक गलत ट्रेंड स्थापित होगा, भ्रष्ट राजनेता चुनावों का नाम लेकर जेलों से बाहर ही रहेंगे, क्योंकि इतने बड़े देश में कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहते हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव का हवा देकर ही केजरीवाल ने समन टाला था।
हालाँकि, अदालत ने कहा कि, केजरीवाल पेशेवर अपराधी नहीं हैं, वे निर्वाचित सीएम हैं, और इस समय चुनाव चल रहे हैं, इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 2 जून को वापस सरेंडर करने के लिए भी कहा है, साथ ही शर्तें लगाई हैं कि दिल्ली के सीएम किसी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे। हालाँकि, केजरीवाल वैसे भी किसी फाइल पर कम ही दस्तखत करते हैं, उन्होंने एक भी विभाग अपने पास नहीं रखा है। इसी कारण LG ने एक बार दिल्ली सरकार की दर्जनों फाइल लौटा भी दी थी क्योंकि उनपर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर ही नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, केजरीवाल सीएम ऑफिस या सचिवालय नहीं जाएंगे, अपने केस से जुड़ी फाइल नहीं देखेंगे, गवाहों से संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे। लेकिन, अब बाहर आकर केजरीवाल गवाहों से संपर्क कर भी लें, तो इसका पता कैसे लगेगा ?
बहरहाल, जो राहत सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दी, वो हेमंत सोरेन को नहीं मिली। शुक्रवार को झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की याचिका को अप्रासंगिक बताते हुए अंतरिम जमानत देने से मना कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि सोरेन ने गिरफ्तारी के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय का फैसला नहीं आने का मुद्दा उठाया था। अब हाईकोर्ट का निर्णय आ गया है, इस वजह से याचिका अब प्रभावहीन हो गई है और इस पर सुनवाई नहीं हो सकती। हालाँकि, केजरीवाल ने भी गिरफ़्तारी को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि, केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए ED के पास पर्याप्त सबूत हैं और गिरफ़्तारी जायज है। इस आदेश के खिलाफ केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट चले गए थे और उसी सुनवाई के दौरान उनके वकील और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने धीरे से चुनाव प्रचार के लिए जमानत मांग ली, जो मिल भी गई।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट की गिरफ्तारी को सही बताए जाने के आदेश के खिलाफ भी SLP दाखिल की है। इस SLP पर सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम अपनी अन्य दलील रख सकते हैं। हेमंत सोरेन के वकील और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि इस याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को सुनवाई पूरी कर ली है, लेकिन अभी तक आदेश नहीं दिया है।
हेमंत ने जल्द फैसला सुनाने का निर्देश देने की मांग की थी और फैसला आने तक अंतरिम जमानत भी मांगी थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पेंडिंग थी। इस बीच तीन मई को उच्च न्ययालय ने फैसला सुनाते हुए हेमंत की याचिका ठुकरा दी थी और गिरफ्तारी को सही बताया था। इसके बाद हेमंत ने याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है, जिस पर अब 13 मई को सुनवाई होनी है। अब देखना ये है कि, क्या सुप्रीम कोर्ट चुनाव प्रचार के लिए हेमंत सोरेन को भी जमानत देती है ?
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