बालाघाट से जुगल किशोर शर्मा की रिपोर्ट
बालाघाट। विगत कई वर्षों से भारतीय फिल्म जगत एवं टेलिविजन पर ऐसी फिल्मों, वेबसीरीज तथा कार्यक्रम का प्रदर्शन हुआ है, जिनमें भारतीय संस्कृति, मान्यताओं परंपराओं का अपमान हुआ है। ये फिल्में भारतीय बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही हैं। ऐसी फिल्मों का बहुसंख्यक समुदाय द्वारा सदैव विरोध व बहिष्कार किया है।किंतु , इस प्रकार की फिल्मों का निर्माण व प्रदर्शन जारी है। आगामी १२ जनवरी २०२३ को पुनः देश के बहुसंख्यक हिंदु समाज के देवि देवताओं के विकृत स्वरुप को प्रदर्शित करने वाली फिल्म "आदि पुरुष" प्रदर्शित होने वाली है।
इन फिल्मों के प्रदर्शन से स्पष्ट होता है कि भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है। अत: इस सेंसर बोर्ड को भंग कर दिया जाये एवं आदि पुरुष जैसी हिंदुओं की भावनाओं, राष्ट्रीय भावनाओं को अपमानित करने वाली फिल्मों के प्रदर्शन को प्रतिबंधित किया जाये।
ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि फिल्म एवं टेलिविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम देश के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं, मान्यताओं, परंपराओं को अपमानित न कर सकें अत: नया बोर्ड का गठन किया जाये। जिससे विचारों की अभिव्यक्ति के नाम हिंदू समाज, संस्कृति का अपमान न हो। इस दौरान धनेंद्र महानन्द, डॉक्टर डीपी राणा, आनन्द पिछोडे, मिलिंद ठाकरे एवं अन्य साथी उपस्थित रहे।
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