पटना: आजकल देश में शहरों और रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने का ट्रेंड सा चल पड़ा है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया, फैजाबाद जिले का नाम वापस पुराने नाम पर अयोध्या कर दिया गया और मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रख दिया गया. अब बिहार में बख्तियारपुर (Bakhtiyarpur) का नाम बदलने के मुद्दे पर हंगामा मचा हुआ है.
दरअसल, बख्तियापुर का नाम बदलने की मांग कोई आज की नहीं है. भाजपा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने दो साल पहले उच्च सदन में बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने की मांग रखी थी. साथ ही बख्तियारपुर के स्थानीय लोग भी समय-समय पर इसका नाम बदलने की मांग करते रहे हैं. वे कई बार सीएम और पीएम को इस बाबत पत्र भी लिख चुके हैं. उनका कहना है कि जिस बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय (nalanda university) को जला डाला, उसके नाम पर बख्तियारपुर स्टेशन का नाम रखना उन्हें पीड़ा देता है. इसके अतिरिक्त भाजपा MLA मिथिलेश कुमार ने भी सीएम नीतीश कुमार से बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग की थी.
पटना में सोमवार को जनता दरबार में पत्रकारों ने सीएम नीतीश कुमार से बख्तियारपुर का नाम बदलने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि बख्तियारपुर का नाम क्यों बदलेंगे? नीतीश ने कहा, ''यह फालतू की बात है. बख्तियारपुर मेरा जन्म स्थान है, इसका नाम क्यों बदलेंगे. जब संसद में ऑल इंडिया कानून बन रहा था तो एक सदस्य ने कहा था कि कभी नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया गया था, तो इसी बख्तियारपुर में शिविर रखा गया था और अब यहीं जन्म लेने वाला एक व्यक्ति नालंदा यूनिवर्सिटी को बनवा रहा है.''
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