कई वर्षो तक सार्वजनिक जीवन में रहने वाले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा और न ही कोई राजनीतिक पद स्वीकार किया। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी ही पार्टी शिवसेना का अध्यक्ष भी नहीं चुना गया था। लेकिन इन सब के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति और खासकर इसकी राजधानी मुंबई में उनका खासा प्रभाव था।
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कार्टूनिस्ट के रूप में थी शुरुआत
बाला साहेब का राजनीतिक और सार्वजानिक सफर काफी बड़ा और अनोखा था। वो एक पेशेवर कार्टूनिस्ट थे और शहर के एक अखबार में काम करते थे। बाद में उन्होंने वह नौकरी भी छोड़ दी। बाल ठाकरे ने 'मराठी मानुस' का मुद्दा उठाया। उस समय महाराष्ट्र में नौकरियों का अभाव था इसी के साथ उन्होंने मराठी बोलने वाले स्थानीय लोगों को नौकरियों में तरजीह दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया।
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ऐसे की शिवसेना की शुरुआत
प्राप्त जानकारी अनुसार बताया जाता है की इस पुरे मामले के बाद बाला साहेब ने शिवसेना का गठन किया। धीरे- धीरे बाला साहेब महाराष्ट्र के लोगो के दिलों पर राज करने लगे इसी के साथ उनके द्वारा बनाई गयी पार्टी शिवसेना भी लोगो के बीच अपनी जगह बनाने लगी बता दें वही शिवसेना आज एक बड़ी पार्टी बनकर समूचे महाराष्ट्र के साथ ही देश में सामने आई है.
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